
भारत में इथेनॉल मिलाकर बने पेट्रोल यानी ई20 पेट्रोल को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल का मिश्रण होता है। गाड़ी मालिकों के मन में सवाल है कि यह उनकी गाड़ियों माइलेज और फ्यूल इकोनॉमी पर क्या असर डालेगा।


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Ethanol blending with Petrol
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फ्यूल इफिशिएंसी पर असर
पीटीआई ने बताया है कि उसने वाहनों पर ई20 ईंधन के प्रभाव को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही बहस के बीच कुछ प्रमुख वाहन निर्माताओं के साथ काम कर रहे कुछ ऑटोमोटिव इंजीनियरों से बात की। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि पुराने वाहनों में, जो ई20 मानकों के अनुरूप नहीं हैं, लंबे समय में गैसकेट, ईंधन रबर होज और पाइप खराब हो सकते हैं। हालांकि, ये समस्याएं तुरंत नहीं होंगी।
एक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “वाहन के प्रकार के आधार पर फ्यूल एफिशिएंसी यानी माइलेज में दो से पांच प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। यह असर गाड़ी के मॉडल और टाइप पर निर्भर करेगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इथेनॉल की कैलोरिफिक वैल्यू पेट्रोल से कम होती है, यानी यह उतनी ऊर्जा नहीं देता जितना पेट्रोल देता है।”
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सरकार का स्पष्टीकरण
इस महीने की शुरुआत में, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) ने स्पष्ट किया था कि ई20 पेट्रोल के कारण ईंधन दक्षता में भारी कमी आने की आलोचनाएं निराधार हैं। हालांकि, मंत्रालय ने ईंधन दक्षता में प्रतिशत गिरावट का उल्लेख नहीं किया। मंत्रालय ने कहा था, “ई10 वाहनों में दक्षता में गिरावट (यदि कोई है) मामूली रही है। कुछ निर्माताओं के वाहन 2009 से ही ई20 के अनुकूल हैं। ऐसे वाहनों में ईंधन दक्षता में किसी भी गिरावट का सवाल ही नहीं उठता।”
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बेहतर परफॉर्मेंस और एक्सिलरेशन
मंत्रालय ने यह भी बताया कि ई20 के लिए ट्यून की गई गाड़ियां बेहतर एक्सिलरेशन देती हैं, जो शहरों की ड्राइविंग के लिए अहम है। साथ ही, इथेनॉल की वजह से एयर-फ्यूल मिक्सचर की डेंसिटी बढ़ जाती है, जिससे गाड़ियों की वॉल्यूमेट्रिक एफिशिएंसी बेहतर होती है।
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कितनी गिर सकती है माइलेज?
4 अगस्त को, MoPNG ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि इथेनॉल, पेट्रोल की तुलना में ऊर्जा घनत्व में कम होने के कारण, माइलेज में मामूली कमी लाता है:
- 1-2% तक कम हो सकता है, अगर गाड़ी ई10 के लिए बनी है लेकिन ई20 पर चल रही है।
- 3-6% तक कम हो सकता है, उन गाड़ियों में जो ई20 कम्पैटिबल नहीं हैं।
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