
भारतीय अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को कहा कि उनका अंतरिक्ष यात्रा पर जाना भारत के लिए केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि ‘भारत के दूसरे ऑर्बिट’ की शुरुआत है- इस बार लक्ष्य सिर्फ भाग लेना नहीं, नेतृत्व करना है। बता दें कि शुभांशु शुक्ला हाल ही में एक्सिओम-4 (एएक्स-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से सफलतापूर्वक लौटे हैं। उन्होंने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने अनुभव साझा किए, जिनमें अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) में जीवन, वैज्ञानिक प्रयोग, और भारत की बढ़ती भूमिका की झलक शामिल थी।
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‘भारत अब दर्शक नहीं, भागीदार है’
इस दौरान शुभांशु शुक्ला ने कहा, ‘दशकों से अंतरिक्ष एक वैश्विक साझेदारी का क्षेत्र रहा है। लेकिन इस मिशन का सबसे खास पल वह था जब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की, और मेरे पीछे भारत का तिरंगा अंतरिक्ष में लहरा रहा था।’ उन्होंने कहा कि यह दृश्य भारत के लिए प्रतीक था कि हम अब अंतरिक्ष की वैश्विक बातचीत में केवल दर्शक नहीं, बल्कि समान भागीदार के रूप में शामिल हैं।
41 साल बाद फिर अंतरिक्ष में भारतीय
शुभांशु शुक्ला ने इस बात पर जोर दिया कि 1984 में राकेश शर्मा के बाद 41 वर्षों में यह पहली बार है कि एक भारतीय अंतरिक्ष में गया। लेकिन इस बार यह केवल एक व्यक्ति की यात्रा नहीं थी- ‘यह भारत के दूसरे ऑर्बिट की शुरुआत है। और इस बार, हम तैयार हैं- सिर्फ उड़ने के लिए नहीं, बल्कि नेतृत्व के लिए।’
‘अब उड़ान से डर नहीं, अनुभव के साथ लौटे हैं’
अपनी वापसी के बाद शुभांशु शुक्ला यह पहला सार्वजनिक संवाद था। उन्होंने हंसते हुए कहा, ‘यह मेरी अंतरिक्ष से लौटने के बाद पहली बातचीत है- और अब मुझे खुद को स्थिर करने की जरूरत नहीं है कि मैं तैर न जाऊं।’ यह बात उन्होंने शून्य गुरुत्वाकर्षण से धरती के सामान्य गुरुत्वाकर्षण में लौटने के अनुभव को दर्शाने के लिए कही।
विज्ञान के साथ जुड़ी उम्मीदें और प्रेरणा
शुभांशु शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अंतरिक्ष में स्टेम सेल्स पर प्रयोग किए, और बबल एक्सपेरिमेंट भी किया जो काफी चर्चित रहा। ‘अंतरिक्ष में विज्ञान करना मजेदार होता है, लेकिन असली मकसद यह था कि हम भारत के युवाओं को प्रेरित कर सकें।’ उन्होंने कहा कि इस मिशन का सबसे बड़ा हासिल यह है कि भारत के बच्चे अब खुद को एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में देखने का सपना देख सकते हैं- और अब वह सपना असंभव नहीं रहा।
गगनयान मिशन और आगे की राह
भारत अगले कुछ वर्षों में अपना मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ शुरू करने जा रहा है, जिसकी योजना 2027 के आसपास है। शुभांशु शुक्ला की इस यात्रा ने गगनयान मिशन की तैयारियों को और बल दिया है और दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत अब तकनीकी और अंतरिक्ष विज्ञान में नेतृत्व करने की दिशा में बढ़ रहा है।
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अंतरिक्ष में भारत का भविष्य
अपने संबोधन के आखिरी में शुभांशु शुक्ला ने कहा, ‘तकनीकी उपलब्धियां गिनती की जा सकती हैं, लेकिन असली चिंगारी तब उठती है जब कोई बच्चा सोचता है- ‘मैं भी अंतरिक्ष में जा सकता हूं।’ यही इस मिशन का असली उद्देश्य था।’ उन्होंने इस मिशन को शुरुआत भर कहा और हर भारतीय का आभार जताया जिनके विश्वास और सपनों ने इस मिशन को साकार किया।