
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भारत से आग्रह किया है कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिश में मदद करने के लिए अपना ‘प्रभाव’ इस्तेमाल करे। उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत के कुछ ही घंटों बाद आया। ग्राहम ने कहा कि यह अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में ‘महत्वपूर्ण’ भूमिका निभा सकता है।
ग्राहम ने सोशल मीडिया पर शुक्रवार को लिखा, ‘जैसा कि मैं अपने भारतीय मित्रों से कहता आया हूं, अमेरिका-भारत संबंधों को सुधारने के लिए सबसे अहम चीजों में से एक यह है कि वे यूक्रेन में चल रहे इस खूनी संघर्ष को खत्म करने में राष्ट्रपति ट्रंप की मदद करें।’ ग्राहम ने कहा कि भारत रूस से सस्ते तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, जो पुतिन की युद्ध मशीन को ईंधन देता है।
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उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ हाल ही में फोन पर हुई बातचीत में यह बात जरूर उठाई होगी कि यह युद्ध अब न्यायपूर्ण, सम्मानजनक और स्थायी रूप से खत्म होना चाहिए। मैं हमेशा मानता रहा हूं कि भारत का इस मुद्दे पर प्रभाव है और मैं उम्मीद करता हूं कि वह इसे समझदारी से करेंगे।
ग्राहम ने यह प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री मोदी के उस पोस्ट पर दी, जो उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बातचीत के बाद एक्स पर साझा किया था। पीएम मोदी ने लिखा था कि उनकी अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन से बहुत अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई है। शुक्रवार को हुई इस फोन बातचीत के दौरान पुतिन ने मोदी को यूक्रेन से जुड़े ताजा हालात की जानकारी दी।
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क्रेमलिन ने एक बयान में कहा, रूस और भारत के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी को ध्यान में रखते हुए व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष दूत स्टीवन विटकॉफ के साथ अपनी बैठक के मुख्य बिंदुओं को प्रधानमंत्री मोदी के साथ साझा किया। बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी देने के लिए राष्ट्रपति पुतिन को धन्यवाद दिया और यूक्रेन से जुड़े हालात को राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से सुलझाने के लिए भारत के रुख की पुष्टि की। मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को इस साल के अंत में भारत में होने वाले 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित भी किया है। ग्राहम ने ट्रंप की ओर से भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के फैसले का समर्थन किया और कहा, भारत जैसे देशों को उनके युद्ध से कमाई करने पर कीमत चुकानी चाहिए।