Dainik Haryana, New Delhi: Religion जहां आस्था की बात होती है वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर सामने आती हैं. सनातन धर्म में अनेकों मंदिर और स्थान हैं, जहां की एक अपनी खासियत और अपना महत्व है. ऐसी ही आस्था मान्यता से झारखंड की राजधानी रांची से 165 किलोमीटर दूर पलामू जिले का एक मंदिर जुड़ा है. यह मंदिर श्री श्री सप्तमातर महादेवी मंदिर पलामू जिला मुख्यालय मेदनीनगर में स्थित है. जहां पिछले 10 साल से अखंड दीप जल रहा है. वहीं इस मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालुओं की मुराद पूरी होती है.
100 साल पुराना है मंदिर
मंदिर के पुजारी अनिल पांडेय ने लोकल18 को बताया कि पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के शास्त्री नगर में श्री श्री सप्तमातर भगवती माता मंदिर है, जो की 100 साल पुराना है. जहां रोज सैकड़ों श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. इस मंदिर की आस्था मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मां भगवती से अपनी इच्छा से मुराद मांगते हैं. उनकी वो मुराद पूरी होती है. उन्होंने बताया कि वो तीन पीढ़ियों से इस मंदिर में पूजा करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज राजकुमार पांडेय, सूर्यनाथ पांडेय, और केशव जी द्वारा मंदिर में मां भगवती की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी, जिसके बाद से अबतक पूजा अर्चना की जा रही है.
10 साल से जल रहा अखंड दीप
नवरात्रि के अवसर पर खास आयोजन होता है. दशहरा में श्रद्धालु 9 दिन तक अखंड दीप जलाते हैं. वहीं पिछले 10 साल से इस मंदिर परिसर में एक अखंड दीप जलता आ रहा है. इसे स्थानीय निवासी राजेश अग्रवाल द्वारा शुरू कराया गया था, जो 24 घंटे जलता रहता है. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में मुख्य दरबार माता भगवती का है. इसके साथ साथ भगवान भोलेनाथ, हनुमान जी, गणेश जी, संतोषी मां, मां पार्वती, मां सरस्वती का दरबार है. यह मंदिर भोर 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा शाम 4:30 से 9:00 बजे रात तक खुला रहता है. जहां पलामू जिले अलग क्षेत्रों और दूर दूर से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
पूरी होती है मुराद
स्थानीय निवासी बजरंगी प्रसाद हलवाई ने कहा कि वो पिछले 50 साल से इस मंदिर में सेवा से रहे हैं. एक समय की बात उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की तबियत बेहद ज्यादा खराब थी. डॉक्टर ने भी उसे जवाब दे दिया था. तब उन्होंने मां के मंदिर में माथा टेका और अपनी बच्ची की जिंदगी मांगी. साथ की कहा कि अगर मेरी बच्ची ठीक हो जाएगी तो मैं जिंदगी भर आपकी सेवा करूंगा. इसके बाद मेरी बच्ची ठीक हो गई और उसकी शादी भी हो गई और उसके दो बच्चे हैं और वो पूरी तरह स्वस्थ भी हैं. मां ऐसी कई मुराद पूरी करती हैं. मेरी तो अनेकों मुराद पूरी हुई है.
मंदिर में चढ़ता है नारियल का चढ़ावा
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि 50 साल पहले यहां बली देने की प्रथा थी. तब खंसी की बली दी जाती थी. बाद में पूर्वजों द्वारा इसे बंद कराकर नारियल से पूजा अर्चना शुरू की गई. आज भी कई लोग खंसी लेकर आते हैं और पूजा करके ले जाते हैं. बली के स्थान पर नारियल का चढ़ावा चढ़ाते हैं.