
भारतीय क्रिकेट टीम की नीली जर्सी सिर्फ खेल का प्रतीक नहीं रही है, बल्कि यह हमेशा से बड़े-बड़े ब्रांड्स के लिए पहचान और विज्ञापन का सबसे असरदार माध्यम भी रही है। पिछले तीन दशकों में टीम इंडिया की जर्सी पर कई नाम चमके हैं, जिन्होंने न केवल क्रिकेट बल्कि अपने-अपने बिजनेस की दिशा भी बदल दी। हालांकि, अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और मौजूदा जर्सी स्पॉन्सर ड्रीम-11 (Dream11) की साझेदारी अचानक खत्म हो गई है। बीसीसीआई सचिव देवाजीत सैकिया ने इसकी पुष्टि की है। इसका नतीजा यह होगा कि आगामी एशिया कप में भारतीय टीम ड्रीम-11 के लोगो के बिना मैदान में उतरेगी। बीसीसीआई अब नए स्पॉन्सर के लिए टेंडर जारी करने की तैयारी कर रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय टीम के कई बड़े स्पॉन्सर किसी न किसी मुश्किल का सामना करते रहे हैं। सहारा पर कानूनी विवाद, बायजू पर आर्थिक दबाव और अब ड्रीम-11 पर गेमिंग कानून का असर। ऐसा लगता है मानो टीम इंडिया की जर्सी के साथ ब्रांड संकट जुड़ा हुआ हो।आइए जानते हैं कि ड्रीम 11 से पहले कौन-सी कंपनियां टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सर रही हैं…

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भारतीय टीम
– फोटो : Youtube
शुरुआत ITC से
1990 के दशक की शुरुआत में जब भारतीय क्रिकेट व्यावसायिक रूप से तेजी से बढ़ने लगा, तब आईटीसी लिमिटेड पहला बड़ा नाम था जिसने टीम इंडिया की जर्सी पर जगह बनाई। 1993 से लेकर 2001 तक विल्स (Wills) और आईटीसी होटल्स (ITC Hotels) जैसे ब्रांड्स भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी पर दिखाई दिए। यह वह दौर था जब क्रिकेट और विज्ञापन की साझेदारी ने अपनी असली उड़ान भरनी शुरू की।
कंपनी की मौजूदा स्थिति: आईटीसी का मार्केट कैप पांच लाख करोड़ रुपये है। जून 2025 को समाप्त तिमाही में आईटीसी का शुद्ध लाभ 3.00% बढ़कर 5244.20 करोड़ रुपये हो गया, जबकि जून 2024 को समाप्त पिछली तिमाही के दौरान यह 5091.59 करोड़ रुपये था। जून 2025 को समाप्त तिमाही में बिक्री 20.98% बढ़कर 21372.93 करोड़ रुपये हो गई, जबकि जून 2024 को समाप्त पिछली तिमाही के दौरान यह 17666.78 करोड़ रुपये थी।

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भारतीय टीम
– फोटो : Sehwag twitter
सहारा का स्वर्णिम युग
2002 से 2013 तक टीम इंडिया की जर्सी पर सबसे लंबे समय तक सहारा इंडिया (Sahara India) का लोगो दिखाई दिया। यह वह समय था जब भारतीय क्रिकेट ने अपने सुनहरे अध्याय लिखे। टी20 विश्वकप 2007 और 2011 का वनडे विश्व कप इसी दौरान आया। सहारा और टीम इंडिया का यह रिश्ता लगभग एक दशक तक अटूट रहा और इसने क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
कंपनी की मौजूदा स्थिति: सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के जेल जाने के बाद से कंपनी बेहद बुरे दौर से गुजरी। आज भी कंपनी तमाम कानूनी पचड़ों में फंसी हुई है। सुब्रत रॉय की मृत्यु के बाद, सहारा समूह की वित्तीय स्थिति बेहद अनिश्चित बनी हुई है, खासकर सेबी के साथ लंबे समय से चल रहे कानूनी विवादों और निवेशकों के पैसे वापस करने के मामले में. सहारा की गैर-वित्तीय संपत्तियों को सहारा समूह के नेतृत्व द्वारा बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन समूह के भविष्य पर अनिश्चितता छाई हुई है। केंद्र सरकार ने सहारा की सहकारी समितियों में फंसे जमाकर्ताओं के लिए धन वापसी की प्रक्रिया शुरू की है।

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भारतीय टीम
– फोटो : PTI
डिजिटल दौर की एंट्री
2014 में बारी आई स्टार इंडिया (Star India) की। इस स्पॉन्सरशिप के साथ क्रिकेट और डिजिटल ब्रॉडकास्टिंग की जुगलबंदी ने नया इतिहास रचा। टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के साथ स्टार ने क्रिकेट को घर-घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। स्टार इंडिया 2014 से 2017 तक भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी प्रायोजक रही। भारतीय मीडिया समूह ने कथित तौर पर प्रत्येक द्विपक्षीय मैच के लिए 1.92 करोड़ रुपये और एक आईसीसी मैच के लिए 61 लाख रुपये का भुगतान किया था।
कंपनी की मौजूदा स्थिति: स्टार इंडिया की स्थिति अच्छी है और वह अभी भी प्रमुख मीडिया समूहों में बनी हुई है।

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धोनी और कोहली
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मोबाइल ब्रांड्स की जंग
इसके बाद 2017 में ओप्पो (Oppo) सामने आया। 2019 तक टीम इंडिया की जर्सी पर यह मोबाइल ब्रांड दिखा। स्मार्टफोन इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा के बीच ओप्पो ने क्रिकेट को अपने प्रचार का सबसे मजबूत जरिया बनाया। ओप्पो ने 2017 से 2019 तक भारतीय टीम के जर्सी स्पॉन्सर अधिकार अपने नाम किया था। कथित तौर पर ओप्पो ने 2017 में प्रायोजन के लिए वीवो मोबाइल्स से अधिक बोली लगाई। उसने पांच साल के लिए 1,079 करोड़ रुपये में करार किया था। कंपनी ने बाद में बाजार छोड़ने और उसी कीमत पर अधिकार बायजू को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया। कंपनी का मानना था कि 2017 में टीम इंडिया की जर्सी की रकम बहुत अधिक थी जो की वर्तमान में कंपनी के पैमाने पर खरी नहीं उतर रही है।
कंपनी की मौजूदा स्थिति: ओप्पो विश्व में स्मार्टफोन शिपमेंट के मामलों में लगातार चौथे स्थान पर बनी हुई है, लेकिन उसके सामने वित्तीय दबाव, कानूनी चुनौतियां और परिचालन जोखिम बाधाएं भी हैं। ओप्पो मोबाइल्स इंडिया के ऑडिट में FY24 के लिए 3,551 करोड़ रुपये का नेगेटिव नेट वर्थ रिपोर्ट किया गया है। इससे कंपनी की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ओप्पो ने अपने चिप डिजाइन यूनिट जेकू को अचानक बंद कर दिया। हाल ही में एप्पल ने अपनी एक्स-इंजीनियर पर और ओप्पो पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने एप्पल वॉच की संवेदनशील तकनीकी जानकारी चोरी की, जिसे ओप्पो ने पूरी तरह से खारिज किया और कोई संलिप्तता न होने का दावा किया था।