अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र में बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें कांग्रेस के मुकाबले एक बार भी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं कर सकी। किसानों की सुध न वाजपेयी सरकार ने ली और न ही 10 साल से सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने। भाजपा की हरियाणा सरकार ने तो एक बार भी एमएसपी बढ़ाने की पैरवी तक नहीं की। डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हर साल फसलों का एमएसपी बढ़ाकर किसान हितैषी होने का सबूत पेश किया।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 1999 से 2004 तक देश में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार थी। उक्त सरकार ने अपने कार्यकाल में धान के दामों में 14 प्रतिशत बढ़ोतरी की, जो सालाना 2.3 प्रतिशत ही रही।
लेकिन, कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान धान के एमएसपी में कुल 143 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई, जो सालाना 14.3 प्रतिशत दर्ज की गई। साल 2014 के बाद से अब तक भाजपा की मोदी सरकार ने धान के दाम में सिर्फ 54.1 प्रतिशत बढ़ोतरी की है, यानी सालाना बढ़ोतरी 6 प्रतिशत ही रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 1999 से 2004 के दौरान भाजपा गठबंधन की सरकार ने गेहूं के एमएसपी में कुल 10.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, जो 1.7 प्रतिशत सालाना दर्ज की गई। इसके बाद कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने इसमें 12 गुणा ज्यादा यानी 126 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, जो सालाना 12.7 प्रतिशत आंकी गई।
जबकि, मोदी सरकार ने 10 साल में कांग्रेस के 126 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ 39.3 प्रतिशत ही बढ़ोतरी की। कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने सिर्फ धान व गेहूं ही नहीं, प्रत्येक फसल के दामों में ढाई से तीन गुणा (150-200 प्रतिशत) की बढ़ोतरी की।
लेकिन, मोदी सरकार में मुश्किल से 50 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है। जबकि, इस दौरान खेती की लागत में कई गुणा बढ़ोतरी हो चुकी है। खेती और खेती से जुड़े सामान, उपकरणों पर टैक्स थोप दिए हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने खेती पर कभी कोई टैक्स नहीं लगाया। इसके विपरीत मोदी सरकार ने खाद के कट्टे का वजन 50 किलोग्राम से घटाकर 40 किलोग्राम कर दिया। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा को घटा दिया। इससे किसानों को और अधिक खाद का प्रयोग करना पड़ेगा, जिससे उनका खर्चा बढ़ेगा। किसान को दी जाने वाली बिजली महंगी कर दी, क्रूड सस्ता होने के बावजूद डीजल के दाम न घटाने से फसल की लागत बढ़ी है।
इससे पता चलता है कि भाजपा सरकार ने सदैव किसानों की जेब काटने का षड्यंत्र ही रचा है। कुमारी सैलजा ने कहा कि ये डबल इंजन सरकार का नारा देकर लोगों को ठगने का काम करते हैं। प्रदेश के लोगों को अब इनके बहकावे में आने की जरूरत नहीं है।
क्योंकि, 10 साल के अंदर भाजपा की प्रदेश सरकार ने तो कभी केंद्र के सामने हरियाणा के लोगों की वकालत करने की न तो हिम्मत दिखाई और न ही हौसला कर सकी। इसलिए 5 अक्टूबर का दिन भाजपा की हरियाणा से विदाई की पटकथा लिखने वाला साबित होगा।
कानून से खुले बाजार की मनमानी पर अंकुश
उन्होंने कहा कि अगर एमएसपी को लेकर क़ानून बन जाता है, तो सरकारी मंडियों या सरकारी एजेंसियों से बाहर भी अपनी फसल को एमसीपी से कम पर बेचने की मजबूरी से किसानों को मुक्ति मिल जाएगी। कृषि उपज की खरीदारी के मामले में निजी क्षेत्र या कॉरपोरेट घरानों का ही एकाधिकार है आज भी किसान बड़े पैमाने पर अपनी उपज को निजी बाजार की शर्तों पर औने-पौने दाम में बेचने को विवश है। एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून होने से भविष्य में इस परिदृश्य में व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है।