डेरा प्रमुख राम रहीम : चंडीगढ़ । डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले इमरजेंसी पैरोल मांगी है। इस बार उन्होंने 20 दिन की पैरोल मांगी हैं। राम रहीम ने 11वीं बार पैरोल मांगी है। वहीं इस मामले में हरियाणा में चुनाव आचार सहिंता लागू होने के कारण सरकार ने राम रहीम के आवेदन को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजा है। इस मामले में हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सरकार को पैरोल के संबंध में पत्र लिखकर सवाल पूछे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डेरा प्रमुख राम रहीम की वर्ष 2024 की पैरोल अवधि में अभी 20 दिन शेष है। उन्होंने पैरोल अवधि के दौरान यूपी स्थित डेरा में रहने की मंजूरी मांगी है।
पत्र में पूछा गया है कि हरियाणा में हो रहे विधानसभा चुनाव के समय डेरा प्रमुख को पैरोल देना क्या सही है। डेरा प्रमुख वर्तमान में रोहतक जिले की सुनारिया जेल में हैं। चुनाव के लिहाज से देखें तो राम रहीम का हरियाणा में खासा प्रभाव है । डेरा के हरियाणा में लाखों समर्थक हैं वे किसी भी सीट के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
5 अक्टूबर को हरियाणा में होगी वोटिंग
डेरा प्रमुख राम रहीम : विधानसभा चुनाव के तहत हरियाणा में आगामी शनिवार 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतों की गिनती होगी।
इसलिए आयोग ने हरियाणा सरकार से पूछा जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य परिस्थितियों में पैरोल मांगने के लिए कारण बताने की जरूरत नहीं होती। केवल इमरजेंसी पैरोल के लिए कारण बताना जरूरी होता है। यहां वर्णनीय है कि डेरा प्रमुख राम रहीम की साल 2024 में 20 दिन की पैरोल बची है। जेल अधिकारी ने बताया कि पैरोल को आमतौर पर डिवीजनल कमिश्नर स्तर पर मंजूरी दी जाती है। हालांकि, आदर्श आचार संहिता के कारण जेल विभाग ने इस मामले को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेज दिया है।
2 केस में कैद, एक में बरी हो चुका राम रहीम
डेरा प्रमुख राम रहीम : डेरा प्रमुख राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को 2 साध्वियों के यौन शोषण केस में दोषी ठहराया गया था। 27 अगस्त 2017 को उसे गिरफ्तार किया गया। इस केस में 28 अगस्त 2017 को उसे 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। जिसके बाद से वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 11 जनवरी 2019 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और 17 जनवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उसे 2021 में रणजीत सिंह हत्याकांड में भी दोषी ठहराते हुए उम्रकैद दी गई थी। हालांकि इसी साल 28 मई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में उसे बरी कर दिया।
चुनाव के वक्त पैरोल के लिए यह नियम
चुनाव आचार संहिता के दौरान किसी दोषी को पैरोल देने से पहले सरकार को नियमों के तहत चुनाव आयोग से पूछना जरूरी है। नियमों के मुताबिक अगर सरकार को लगता है कि किसी दोषी अपराधी को पैरोल पर रिहा करना आवश्यक है, तो उसे पैरोल देने से पहले राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से परामर्श करना चाहिए।