Ramlila Mahotsav: Due to the separation of his son, Dashrath went to the afterlife, Bharat went to the forest to bring back brother Ram.
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रामलीला महोत्सव : पुत्र वियोग में दशरथ का हुआ परलोकगमन, भाई राम को वापस लाने के लिए वन में गए भरत

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रामलीला महोत्सव सिरसा। श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनता भवन रोड स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित 75वें रामलीला महोत्सव के छठे दिन अनेक दिल को छू लेने वाले मार्मिक प्रसंगों का मंचन किया गया। सर्वप्रथम पुत्र वियोग में राजा दशरथ का प्राण त्यागना, उधर पिता के वचनों की पालना करते हुए राम-लक्ष्मण व सीता वनों की और प्रस्थान करते हैं। अयोध्यावासी उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं परंतु वे पिता की आज्ञा कहकर वन जाते हैं। राम-लक्ष्मण-सीता व सुमंत जब दर्शकों के बीच से गुजरे तो हर कोई उनके चरण स्पर्श के लिए उमड़ पड़ा।

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रामलीला महोत्सव दशरथ उनके साथ मंत्री सुमंत को भेजते हैं और कहते हैं कि वे राम-लक्ष्मण व सीता को वनों में कुछ दिन बीता कर वापस ले आएं परंतु राम नहीं मानते। वे कहते हैं कि अगर सीता वापस जाना चाहती है तो उसे ले जाएं परंतु सीता भी जाने से इंकार कर देती है और कहती है कि जहां उनके पति हैं वहीं उनका सुखधाम हैं। दूत द्वारा ननिहाल गए भरत शत्रुघ्न को शीघ्र अयोध्या में आने का संदेश देना, ननिहाल में भरत को स्वप्न में अनेक अपशगुण दिखाई देना इत्यादि दृश्य मंचित किए गए। इसके पश्चात भरत व शत्रुध्न अयोध्या पहुंचते हैं तो उन्हें नगर में सन्नाटा नजर आता है।

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रामलीला महोत्सव मां कैकयी से जब भरत पूछते हैं कि भाई राम-लक्ष्मण व भाभी सीता कहां हैं और पिताश्री नजर नहीं आते तो कैकयी इधर उधर की बातें करती है। वह कहती है कि तुम राजा बनने वाले हो। जब भरत उन्हें साफ साफ पूरा घटनाक्रम बताने को कहते हैं तो कैकयी बताती है कि उसने राजा दशरथ से दो वरों के रूप में उसके लिए अयोध्या का राजपाठ व राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था। राम पिता के द्वारा दिए गए वचन की पालना के लिए वन में चले गए। लक्ष्मण व सीता भी उनके साथ गए वहीं पुत्र वियोग में दशरथ ने प्राण त्याग दिये।

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रामलीला महोत्सव शत्रुध्नन को जब पता चलता है कि उनकी मां कैकयी को बहकाने वाली दासी मंथरा है तो वे उसे प्रताड़ित करके दरबार से निकाल देते हैं। वहीं भरत अपनी मां कैकयी को कहते हैं कि वह पापिन है उसने राम जैसे भाई को उससे दूर कर दिया, पिता के प्राण ले लिए। इसके बाद में मां कौशल्या के पास जाते हैं जो पति के निधन व पुत्रों के वियोग से व्याकुल है। भरत को देखकर वह कहती है कि भरत अब तुम अयोध्या पर राज करो परंतु भरत कहते हैं कि यह राजपाठ उसके भाई का ही है वह तो राम का सेवक है। इसके बाद भरत दरबार लगाते हैं और कहते हैं कि वह अपने भाई राम लक्ष्मण व भाभी सीता को वापस लेने के लिए वन में जाएंगे। जिसके बाद सभी वनों के लिए प्रस्थान करते हैं।

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इन दृश्यों में भरत ने शानदार अभिनय कर सबका मन मोह लिया। क्लब द्वारा बनाए गए पुराने गीतों ‘बुरा किया माता, तूने पापिन बन कर बुरा किया’ से ये दृश्य और भी जीवंत हो उठे। दर्शकों ने मध्यरात्रि तक इन दृश्यों का आनंद लिया। भरत के रोल में रवि भारती, सौरभ मेहता ने शत्रुध्न, ऋषभ गाबा ने राम, गौरव मेहता ने लक्ष्मण, सिया गाबा ने सीता, सोनाली रावत ने कैकयी, मानसी रावत ने कौशल्या, मनप्रीत कोर ने सुमित्रा का किरदार निभायाद्ध वहीं गुलशन वधवा, प्रेम प्रकाश मेहता, पवन मेहता, राकेश भाटिया, ओम प्रकाश ने अयोध्यावासियों का किरदार निभाया।