
1962 में हुए भारत-चीन युद्ध को लेकर केंद्र सरकार ने संसद में शुक्रवार को बड़ा दावा किया। केंद्र सरकार ने कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा था। लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चीन के साथ द्विपक्षीय स्तर पर कई पहल की गई हैं।
लोकसभा में एक प्रश्न में विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या भारत सरकार के पास 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन द्वारा कब्जाए गए क्षेत्रों के बारे में कोई डाटा है? क्या 1962 के बाद से चीन के साथ युद्ध के दौरान खोए गए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने के लिए कोई कूटनीतिक प्रयास या पहल की गई है और उपर्युक्त वार्ता किस हद तक आगे बढ़ी है?
इस पर विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि 1962 के युद्ध के अंत में चीन ने लगभग 38000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा था। जून 1981 में चीनी विदेश मंत्री हुआंग हुआ की नई दिल्ली यात्रा के बाद भारत और चीन ने दिसंबर 1981 से नवंबर 1987 तक सचिव स्तर पर औपचारिक सीमा वार्ता के आठ दौर आयोजित किए। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 19-23 दिसंबर, 1988 की चीन की आधिकारिक यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा विवाद पर भारत-चीन संयुक्त कार्य समूह के गठन की घोषणा की। संयुक्त कार्य समूहों की बैठक हुई।
कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि 1989 से 2005 के बीच बैठक के कुल 15 राउंड हुए। उन्होंने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 22-27 जून 2003 की चीन की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से सीमा समझौते की रूपरेखा का पता लगाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति की घोषणा की थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने 11 अप्रैल 2005 को भारत-चीन सीमा प्रश्न के समाधान के लिए राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि 2012 तक विशेष प्रतिनिधि वार्ता के 10 और दौर आयोजित किए गए। इसके अंत में दोनों पक्षों ने दिसंबर 2012 में सीमा प्रश्न के निपटारे की रूपरेखा पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच चर्चा की आम समझ में आम सहमति के और तत्वों की पहचान की।