

बस में सवार एक कांवड़िए के अनुसार, बस तेज रफ्तार में चल रही थी। इस दौरान चालक को झपकी आ गई और बस ट्रक से टकरा गई। इसके बाद वह एक पत्थर पर चढ़कर सीधे ईंटों के ढेर में जा घुसी। हादसे के वक्त अधिकतर कांवड़िए सो रहे थे। हादसा होते ही चीख-पुकार मच गई। प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। जान गंवाने वाले कांबड़ियों की पहचान कर उनके परिजनों को सूचित किया जा रहा है। ज्यादातर कांबड़िए नवादा के अकबरपुर, हिसुआ और पकरीबरावां प्रखंड क्षेत्रों के रहने वाले हैं।

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हादसे में बाद मौके पर मौजूद लोग।
– फोटो : अमर उजाला
गांव वाले मदद करते तो मेरी पत्नी बच जाती
घायल कांवड़िए सुनील कुमार ने कहा कि अचानक सड़क पर बड़ा पत्थर आ गया। इससे चालक ने अपना नियंत्रण खो दिया और बस ईंटों के ढेर से टकरा गई। मैं किसी तरह बस से निकल गया, लेकिन मेरी पत्नी सुमन कुमारी बस में एक घंटे तक फंसी रही, हमारी किसी ने मदद नहीं की। अगर, समय पर मदद होती तो मेरी पत्नी भी बच जाती।

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घायलों का अस्पताल में चल रहा इलाज।
– फोटो : अमर उजाला
कुरसेला मोड़ पहले से दुर्घटना स्थल
हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय राधेश्याम सिंह, मोहन महतो, मनोज पासवान ने बताया कि कुरसेला मोड़ पहले से ही दुर्घटना स्थल माना जाता है, इससे पहले भी यहां कई हादसे हो चुके हैं। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी रामचंद्र ठाकुर ने कहा, “हम लोग पास के खेत में काम कर रहे थे, तभी एक जोरदार आवाज सुनाई दी। दौड़कर पहुंचे तो देखा बस ईंटों के ढेर में घुसी है। कई लोग उसमें फंसे थे, जिनमें कई खून से लथपथ थे। हमने बिना देरी किए पुलिस को सूचना दी और आसपास के लोगों को बुलाका घायलों को बाहर निकालना शुरू किया।

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मृतकों के परिजनों को दी जा रही सूचना।
– फोटो : अमर उजाला
सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए
एक अन्य स्थानीय महिला रीना देवी ने कहा कि यह जगह बेहद खतरनाक है। यहां कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है और न ही चेतावनी बोर्ड। अगर, सरकार ने पहले से ध्यान दिया होता तो ये जानें बच सकती थीं। घटनास्थल पर पहुंचे एक दुकानदार विजय मंडल ने बताया, बस की रफ्तार बहुत तेज थी, इससे हादसा हो गया। हमें प्रशासन को पहले ही बताया था कि सावन में इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए।