
बांग्लादेश में फरवरी 2026 के पहले सप्ताह में चुनाव होंगे। बांग्लादेश के चुनाव आयोग प्रमुख ने शनिवार को इस संबंध में घोषणा की। उन्होंने कहा कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से सुनिश्चित कराना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एएमएम नासिर उद्दीन ने कहा कि कार्यक्रम की घोषणा से दो महीने पहले सटीक तारीख का खुलासा किया जाएगा।
सरकारी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने उत्तर-पश्चिमी रंगपुर जिले में एक समारोह में नासिर उद्दीन के हवाले से कहा कि लोगों का चुनाव आयोग और चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा कम हो गया है, लेकिन वो और उनकी टीम इस भरोसे को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं।
यूनुस की घोषणा के चार दिन बाद आया सीईसी का बयान
सीईसी का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब चार दिन पहले ही अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने घोषणा की थी कि अगले साल फरवरी में चुनाव होंगे। यूनुस ने यह घोषणा 5 अगस्त को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की आवामी लीग सरकार के सत्ता से बेदखल होने की पहली वर्षगांठ के अवसर पर की थी। बता दें कि फरवरी 2026 के चुनाव 13वें संसदीय चुनाव होंगे।
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देश में कानून-व्यवस्था अभी भी स्थिर: नासिर उद्दीन
नासिर उद्दी ने रंगपुर स्थित संभागीय आयुक्त कार्यालय में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर रंगपुर संभाग के आठ जिलों के उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के साथ एक बैठक में भाग लिया। इस दौरान सीईसी उद्दीन ने कहा कि लोग वोट देने में रुचि नहीं ले रहे हैं, लेकिन अगर चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाए और नियम-कानून का पालन करे, तो माहौल ठीक रहेगा। उन्होंने दावा किया कि कानून-व्यवस्था अभी स्थिर है और चुनाव के समय इसे और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि लोग बिना डर के वोट डाल सकें।
आवामी लीग की अनुपस्थिति में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीएनपी
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), अवामी लीग की अनुपस्थिति में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, क्योंकि यूनुस सरकार ने एक कार्यकारी आदेश के तहत इसकी गतिविधियों को समाप्त कर दिया है। बीएनपी के स्व-निर्वासित कार्यवाहक अध्यक्ष और जिया के बेटे तारिक रहमान ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी और उसके समान विचारधारा वाले सहयोगी गठबंधन के रूप में फरवरी में होने वाले चुनावों में भाग लेंगे।
बीएनपी ने अपने अहम सहयोगी जमात-ए-इस्लामी से बनाई दूरी
बीएनपी ने पहले 12 दलों का गठबंधन बनाया था, जिसमें ज्यादातर मध्य-दक्षिणपंथी और एक वामपंथी दल शामिल था, लेकिन अब पार्टी ने अपने कभी अहम सहयोगी रहे, अति-दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी से स्पष्ट रूप से दूरी बना ली है। बीएनपी के नेतृत्व वाली चार दलों की गठबंधन सरकार में जमात एक प्रमुख सहयोगी थी, जिसने 2001 से 2006 तक देश पर शासन किया था।
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2018 के चुनाव में गठबंधन में शामिल थी जमात-ए-इस्लामी
इससे पहले 2018 के राष्ट्रीय चुनाव में, बीएनपी ने जमात-ए-इस्लामी को अपने चुनावी गठबंधन में शामिल किया था, लेकिन पिछले साल अवामी लीग सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद से, उनके बीच दरार साफ दिखाई दे रही है। विश्लेषकों का कहना है कि जमात से दूरी बनाने का बीएनपी का फैसला राजनीतिक और रणनीतिक दोनों ही था, क्योंकि इससे नागरिक समाज, युवाओं और मध्यमार्गी राजनीतिक ताकतों के सामने बीएनपी की छवि ज्यादा उदार और समकालीन बनेगी।
SAD के हिंसक विरोध के बाद गिर गई थी आवामी लीग सरकार
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2024 को छात्र संगठन स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) के हिंसक विरोध के बाद अवामी लीग की सरकार गिर गई थी। तीन दिन बाद, शेख हसीना देश छोड़कर चली गईं, और आठ अगस्त को मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पदभार संभाला था। SAD की एक बड़ी शाखा ने इस साल फरवरी में सिटिजन पार्टी (NCP) का गठन किया।