
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऐसे में जारी बयानबाजी के बीच फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगामामादा राबुका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई अपनी बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने मैंने मोदी जी से कहा कि कोई तो है जो आपसे बहुत खुश नहीं है, लेकिन आप इतने बड़े हैं कि इन परेशानियों का सामना कर सकते हैं। यहां राबुका का इशारा ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए अतरिक्त टैरिफ की ओर था।
राबुका ने यह बात दिल्ली स्थित सप्रू हाउस में इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘ओशन ऑफ पीस’ पर अपने व्याख्यान के बाद कही। उन्होंने बताया कि भारत और फिजी के बीच कई क्षेत्रों जैसे समुद्री सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक और क्षमतावृद्धि पर बातचीत हुई है।
इशारों-इशारों में की भारत-अमेरिका रिश्तों पर टिप्पणी
इस दौरान फिजी के प्रधानमंत्री राबुका ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव की ओर भी इशारा किया। हालांकि राबुका ने सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि जो कुछ भी दुनिया में हो रहा है, उसका असर हम जैसे छोटे देशों पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब परिवार का छोटा सदस्य असहज होता है, तो पूरा परिवार उसकी बात सुनता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति से उनकी कोई व्यक्तिगत बातचीत नहीं हुई है, लेकिन रूस और यूके के नेताओं से उनके द्विपक्षीय संवाद हुए हैं।
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विस्तार से रखी ‘ओशन ऑफ पीस’ पर बात
फिजी के प्रधानमंत्री ने अपने विजन ‘ओशन ऑफ पीस’ यानी ‘शांति का महासागर’ की बात भी विस्तार से रखी। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रशांत क्षेत्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति और स्थिरता का संदेश है।राबुका ने बताया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस विचार को समर्थन दिया है, और प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस दिशा में सहयोग का भरोसा दिलाया है।
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भारत और फिजी के बीच बढ़ते संबंध
गौरतलब है कि फिजी के प्रधानमंत्री की यह भारत यात्रा उनके कार्यकाल की पहली यात्रा है। सोमवार को मोदी और राबुका के बीच व्यापक चर्चा हुई जिसमें रक्षा, क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत हुई। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री राबुका ने ‘ओशन ऑफ पीस’ की अवधारणा को आगे बढ़ाने की बात की। साथ ही पीएम मोदी ने उनके इस नेतृत्व की सराहना की। राबुका ने कहा कि हमारा काम है इस विचार को दुनिया के सामने ले जाना। हम चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय नेता इसे अपनाएं और आगे बढ़ाएं। भारत इसमें हमारा महत्वपूर्ण साझेदार है।