
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर सोमवार को पेश किए गए दो अहम टैक्स बिल सोमवार को ही बिना किसी बहस के पारित हो गए। लोकसभा ने सोमवार को कराधान से संबंधित दो विधेयकों- आयकर (संख्या 2) विधेयक और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक- को विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच पारित कर दिया।
आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025, आयकर अधिनियम 1961 से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने के लिए पास किया गया है। वहीं, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025, आयकर अधिनियम 1961 के साथ-साथ वित्त अधिनियम 2025 में संशोधन करेगा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए ये विधेयक बिहार में मतदाता सूची में संशोधन को लेकर विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच बिना किसी बहस के पारित हो गए। इन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित करने के बाद लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
प्रवर समिति की सिफारिशों को शामिल कर दोबारा पेश किया गया था आयकर विधेयक
इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में आयकर विधेयक का संशोधित संस्करण पेश किया था। नए बिल में बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति की अधिकांश सिफारिशें शामिल हैं। यह कदम पिछले हफ्ते सरकार की ओर से आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने के फैसले के बाद उठाया गया है।
नए बिल को छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने के लिए 13 फरवरी को पेश किया गया था। इसे प्रवर समिति की सिफारिशों के बाद सरकार ने वापस ले लिया था। 11 अगस्त को पेश किए गए नए मसौदे का उद्देश्य सांसदों को एक एकल और अपडेटेड संस्करण प्रदान करना है। इसमें प्रवर समिति की ओर से सुझाए गए अधिकांश बदलाव शामिल किए गए थे।
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संसद में विधेयक वापस लेने और नया बिल पेश करने के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “प्रवर समिति से सुझाव मिले हैं, जिन्हें बिल को सही मायने में विधायी अर्थ देने के लिए उसमें शामिल करना आवश्यक है। बिल के ड्राफ्ट की प्रकृति, वाक्यांशों के एलाइनमेंट, परिवर्तनकारी बदलावों और परस्पर संदर्भों में सुधार किए गए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि भ्रम से बचने के लिए पहले के विधेयक को वापस ले लिया गया था। उन्होंने बताया कि नया मसौदा 1961 के अधिनियम को बदलने के आधार के रूप में काम करेगा।
बिना बहस के बिल पारित होने पर अखिलेश ने जताया विरोध
लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 बिना किसी बहस के पारित होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “यह भाजपा के काम करने का तरीका है। सदन में बिना किसी चर्चा के इतना बड़ा फैसला ले लिया गया… उनकी विदेश नीति देखिए, टैरिफ पर टैरिफ, हमारा पूरा कारोबार चीन पर निर्भर है, तो वे किस तरह का संशोधन कर रहे हैं? कोई सोच भी नहीं सकता था कि 20,000 प्राथमिक स्कूल बंद हो जाएंगे। अगर गरीब बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं, तो कोई भी आयकर बिल आपको खुशी नहीं दे सकता?”
प्रवर समिति किन प्रमुख बदलावों की सिफारिश की है?
संसदीय पैनल ने नए आयकर बिल की ड्राफ्टिंग में कई त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाया था। गलतफहमियों को कम करने के लिए संशोधनों का सुझाव दिया था, ये सुझाव हैं-
- खंड 21 (संपत्ति का वार्षिक मूल्य): “सामान्य क्रम में” शब्द को हटा दें और खाली संपत्तियों के लिए वास्तविक किराए और “मान्य किराए” के बीच स्पष्ट तुलना जोड़ें।
- खंड 22 (गृह संपत्ति आय से कटौती): निर्दिष्ट करें कि 30% मानक कटौती नगरपालिका करों में कटौती के बाद लागू होती है; निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती को किराये पर दी गई संपत्तियों तक विस्तारित करें।
- खंड 19 (वेतन कटौती – अनुसूची VII): किसी निधि से पेंशन प्राप्त करने वाले गैर-कर्मचारियों के लिए परिवर्तित पेंशन कटौती की अनुमति दें।
- खंड 20 (वाणिज्यिक संपत्ति): अस्थायी रूप से अप्रयुक्त व्यावसायिक संपत्तियों पर ‘गृह संपत्ति’ आय के रूप में कर लगाने से बचने के लिए शब्दावली को संशोधित करें। समिति ने कहा कि इन परिवर्तनों से निष्पक्षता और स्पष्टता में सुधार होगा तथा कानून को मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाया जाएगा।
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नए आयकर विधेयक का क्या उद्देश्य है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। इसका उद्देश्य एकीकृत पेंशन योजना के अंशधारकों को कर छूट प्रदान करना है। लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक में आयकर तलाशी मामलों के संबंध में ब्लॉक मूल्यांकन योजना में परिवर्तन करने और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोषों को कुछ प्रत्यक्ष कर लाभ प्रदान करने का प्रावधान भी शामिल है।
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 के जरिए आयकर अधिनियम, 1961 में और वित्त अधिनियम, 2025 में संशोधन करने की कोशिशों के तहत है। सरकार ने जुलाई में बताया था कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत उपलब्ध सभी कर लाभ एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) पर भी लागू होंगे। इसे 1 अप्रैल, 2025 से लागू किया गया था।