
गाजा में मानवीय संकट अब और भयावह हो गया है। शनिवार को इस्राइली फायरिंग में कम से कम 18 फिलीस्तीनियों की मौत हो गई, जिनमें आठ लोग केवल भोजन लेने के लिए मदद केंद्र पर पहुंचे थे। यह गोलीबारी उस समय हुई जब लोग गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन के वितरण केंद्र के पास खाद्य सहायता पाने के लिए जुटे थे।
वितरण केंद्र के वितरण स्थल के पास सहायता मांगने आए याहिया यूसुफ ने बताया कि उन्होंने तीन लोगों को गोली लगने के बाद बाहर निकाला। उन्होंने कहा कि यह अब रोज की कहानी बन गई है। हर दिन यहां खून और लाशें दिखती हैं। वहीं, एक अन्य व्यक्ति आबेद सलाह ने कहा कि वे सैनिकों के पास भी नहीं गए थे, फिर भी उन पर फायरिंग हुई।
वितरण केंद्रों ने किया इस्राइल का बचाव
गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनके साइट के पास ऐसी कोई घटना नहीं हुई। इस्राइल की सेना का भी दावा है कि उन्होंने केवल चेतावनी स्वरूप फायरिंग की। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि 27 मई से 31 जुलाई तक गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन केंद्रों के पास 859 लोग मारे गए और सैकड़ों अन्य खाद्य काफिलों के रास्तों में जान गंवा चुके हैं।
हवाई हमलों में परिवार तबाह
वहीं, शनिवार को इस्राइली हवाई हमलों में कम से कम 10 अन्य लोगों की मौत हुई, जिनमें एक ही परिवार के पांच सदस्य शामिल थे। यह हमला देइर अल-बलाह और जवादिया के बीच एक घर पर हुआ, जिसमें दो माता-पिता और उनके तीन बच्चे मारे गए। इसके साथ ही खान यूनिस के पास एक टेंट पर हमला कर मां-बेटी को भी मौत के घाट उतार दिया गया।
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बंधकों की रिहाई के लिए प्रदर्शन
दूसरी ओर, तेल अवीव में बंधकों के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से अपील की कि वे युद्ध खत्म कर बंधकों को वापस लाएं। अमेरिका के दूत स्टीव विटकॉफ ने भी इन परिवारों से मुलाकात की और कहा कि अमेरिका अब नए रास्ते तलाश रहा है ताकि बंधकों को छुड़ाया जा सके और गाजा को सुरक्षित बनाया जा सके।
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हवाई मदद पर यूएन ने जताई नाराजगी
गाजा में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कई देश अब हवाई ड्रॉप का सहारा ले रहे हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र और कई एजेंसियों का कहना है कि यह तरीका न तो पर्याप्त है और न ही कारगर। UNRWA के प्रमुख फिलिप लजारिनी ने कहा कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हवाई ड्रॉप के लिए है, तो जमीन पर मदद पहुंचाने की इच्छाशक्ति क्यों नहीं है?