
Blood Sugar Increase: ब्लड शुगर बढ़े रहने की समस्या आजकल सभी उम्र के लोगों में देखी जा रही है। हाई ब्लड शुगर (डायबिटीज) की स्थिति सेहत को कई प्रकार से प्रभावित करने वाली हो सकती है, यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इसे कंट्रोल में रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं। कहीं आपका भी शुगर लेवल अक्सर हाई तो नहीं रहता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, 30 से अधिक उम्र के लोगों को डॉक्टर की सलाह पर हर छह महीने में शुगर की जांच जरूर कराते रहना चाहिए। इससे पता चलता है कि कहीं आप भी इस रोग का शिकार तो नहीं हो गए हैं?
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशनकी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में लगभग 54 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और भारत में तेजी से बढ़ते मामलों के कारण ये डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड कहा जाने लगा है। यह सिर्फ मीठा खाने की बीमारी नहीं है बल्कि यह शरीर के अंदर इंसुलिन हार्मोन की गड़बड़ी से जुड़ी गंभीर समस्या है। अगर इसे समय पर कंट्रोल न किया जाए तो दिल, किडनी, आंखें और नसें तक खराब हो सकती हैं।
अब सवाल ये है कि आखिर किन आदतों के कारण हमारे शरीर में शुगर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाता है?

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हाई ब्लड शुगर की समस्या के बारे में जानिए
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कैसे बढ़ता है शुगर का लेवल?
डॉक्टर कहते हैं, जब हम भोजन करते हैं तो उसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज (शुगर) में बदलकर खून में पहुंचता है। सामान्य स्थिति में अग्न्याशय से इंसुलिन हार्मोन निकलता है, जो इस ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है ताकि वह ऊर्जा में बदल सके। लेकिन जब इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता या कोशिकाएं इंसुलिन को ठीक से इस्तेमाल नहीं करतीं, तो ग्लूकोज खून में जमा होने लगता है। इसे ही ब्लड शुगर बढ़ना कहते हैं।
लगातार शुगर का लेवल 120 mg/dl से ऊपर रहना डायबिटीज माना जाता है।

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नींद पूरी न होने की समस्या
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अमर उजाला से बातचीत में एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ वसीम गौहरी ने वह चार कारण बताए हैं जो शुगर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। सभी लोगों को इसपर ध्यान देना और इसे नियंत्रित/सुधार करना बहुत जरूरी है।
नींद पूरी न होना ठीक नहीं
डॉक्टर बताते हैं, 7 घंटे से कम नींद लेने वालों में इंसुलिन रेसिस्टेंस और शुगर का स्तर बिगड़ने की आशंका ज्यादा होती है। अच्छी नींद डायबिटीज मैनेजमेंट का अहम हिस्सा है। नींद की कमी से शरीर का सर्कैडियन रिदम और इंसुलिन व कोर्टिसोल जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन का नियमन बाधित हो जाता है, जिससे कोशिकाओं के लिए ग्लूकोज को अवशोषित करना मुश्किल हो जाता है। इससे मीठे खाद्य पदार्थों के खाने की इच्छा भी बढ़ सकती है जो टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ा देती है।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग
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बहुत ज्यादा फास्टिंग भी ठीक नहीं
इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ लोगों के लिए काम कर सकती है। पर बिना गाइडेंस के फास्टिंग से स्ट्रेस हॉर्मोन एक्टिव होते हैं, जिससे शुगर का स्तर बढ़ने का खतरा हो सकता है।
शोध बताते हैं कि अगर सही तरीके से फास्टिंग न की जाए तो इससे भी शुगर हाई हो सकता है। विशेषकर मधुमेह या इंसुलिन प्रतिरोध वाले लोगों में इसका खतरा अधिक रहता है। उपवास के दौरान रक्त शर्करा में वृद्धि को रोकने के लिए, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, उपवास से पहले और बाद में संतुलित भोजन करें और मीठे पेय पदार्थों से बचें।
शुगर के मरीजों को उपवास या किसी विशेष डाइट प्लान को शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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तनाव-स्ट्रेस की समस्या
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क्रॉनिक स्ट्रेस की दिक्कत तो नहीं?
हमेशा तनाव में रहना डायबिटीज को और बिगाड़ सकता है। जब आप तनाव में होते हैं. तो शरीर में ऐसे हॉर्मोन एक्टिव हो जाते हैं जो ग्लूकोज लेवल को ऊपर ले जाते हैं।
तनाव की स्थिति में आपका शरीर कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन्स रिलीज करता है। इन हार्मोन्स का स्तर अक्सर बढ़ा हुआ रहता है तो ये इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं, जिससे आपकी कोशिकाओं के लिए ग्लूकोज (शर्करा) का अवशोषण बाधित हो जाता है, इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।