

भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के चार मैच बेहद रोमांचक रहे हैं। भले ही दो मुकाबलों में नतीजा भारत के पक्ष में न रहा हो, लेकिन शुभमन गिल की अगुआई वाली युवा टीम इंडिया ने अनुभवी इंग्लिश टीम को कड़ी टक्कर दी है। चौथे टेस्ट में चोटिल होन के बावजूद ऋषभ पंत ने गजब का जज्बा दिखाया। वह पैरी की टूटी हुई अंगुली के साथ बल्लेबाजी के लिए आए। हालांकि, उनके मैदान पर आने ने मेडिकल सब्स्टिट्यूट को लेकर एक बहस छेड़ दी है।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने सबसे पहले इस पर बयान दिया और कहा कि आपात स्थिति में भी मेडिकल सब्स्टिट्यूट के न होने से क्रिकेट अभी भी अंधकार युग में जी रहा है। इसके बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस छिड़ गई। अब इस पर भारत के कोच गौतम गंभीर और इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स का बयान भी सामने आया है। गंभीर ने जहां इस नियम का समर्थन किया है, वहीं स्टोक्स ने इस नियम को हास्यास्पद बताया है।

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ऋषभ पंत
– फोटो : PTI
टूटी अंगुली के साथ करनी पड़ी थी बल्लेबाजी
दरअसल, पंत ने ओल्ड ट्रैफर्ड में गुरुवार को दाहिने पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर होने के बावजूद 37 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई और अर्धशतक पूरा किया। चोट के बाद पंत ने 28 गेंद का सामना किया और 17 रन बनाए। उन्होंने 75 गेंदों में तीन चौके और दो छक्के की मदद से 54 रन की पारी खेली। इस दौरान उन्हें चोट के बावजूद सिंगल के लिए भागना पड़ा।

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माइकल वॉन
– फोटो : Michael Vaughan-instagram
वॉन ने की थी मेडिकल सब्स्टिट्यूट की मांग
वॉन ने ‘द टेलीग्राफ’ में अपने कॉलम में लिखा, ‘मैं कई वर्षों से महसूस करता रहा हूं कि टेस्ट क्रिकेट में स्पष्ट चोटों के मामले में सब्स्टिट्यूट मुहैया कराए जाने चाहिए, जैसा कि हमने ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट में ऋषभ पंत के मामले में देखा। दूसरे दिन सुबह पंत को टूटे पैर के साथ बल्लेबाजी करते देखना वाकई शानदार अनुभव था। यह अविश्वसनीय साहस था और 28 गेंदों में 17 रन बनाना अद्भुत कौशल था, लेकिन वह बल्लेबाजी के लिए फिट नहीं थे, दौड़ नहीं सकते थे और इससे उनकी चोट और भी गंभीर हो सकती थी।’ वॉन ने कहा, ‘सोचने वाली बात यह है कि उन्हें (पंत को) विकेटकीपर के रूप में सब्स्टिट्यूट की अनुमति दी गई, लेकिन बल्लेबाजी या गेंदबाजी की अनुमति नहीं दी गई। यह सब थोड़ा अजीब और असंगत है। हमारा खेल एकमात्र ऐसा टीम खेल है जिसमें ऐसा होता है और मुझे लगता है कि इससे यह पता चलता है कि क्रिकेट अब भी अंधकार युग में जी रहा है।’
वॉन का मानना है कि पुराने नियमों पर अड़े रहने से जानबूझकर खेल का प्रभाव कम किया जा रहा है क्योंकि एक टीम को इसके कारण मैच के चार दिनों तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ रहा है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने कहा, ‘यदि किसी खिलाड़ी को नई चोट लगती है, जैसे हड्डी टूटना या मांसपेशियों में इतना अधिक खिंचाव कि वह खेल में आगे भाग नहीं ले सकता। ऐसी चोट जो स्कैन और चिकित्सक द्वारा आसानी से प्रमाणित हो सकती है तो उसके स्थान पर समान योग्यता (लाइक टू लाइक रिप्लेसमेंट) रखने वाले खिलाड़ी को सब्स्टिट्यूट के रूप में उतारा जा सकता है जैसा कि कन्कशन (सर में चोट लगने पर बेहोशी की स्थिति) के मामले में होता है।’

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गंभीर और पंत
– फोटो : ANI
गंभीर ने मेडिकल सब्स्टिट्यूट नियम का किया समर्थन
गंभीर ने इस नियम का भरपूर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इससे टीमों को आपात स्थिति में सब्स्टिट्यूट लाकर मदद मिलेगी और इससे मैच असमान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसी के चोटिल होने पर मैच 10 vs 11 हो जाता और इस नियम से असमानता को रोका जा सकता है। गंभीर ने मैनचेस्टर टेस्ट के बाद कहा, ‘बिल्कुल, मैं इसके पक्ष में हूं। अगर अंपायर और मैच रेफरी को लगता है कि यह बड़ी चोट है तो मुझे लगता है कि यह नियम काफी अहम है।’
गंभीर ने कहा, ‘अगर किसी की चोट बहुत गंभीर है कि वह मैदान पर नहीं आ सकता तो ऐसे नियम का होना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे आपको एक विकल्प मिल सकता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। खासतौर पर इस तरह की सीरीज में, जहां पिछले तीन टेस्ट मैचों में काफी करीबी मुकाबला रहा है। कल्पना कीजिए कि अगर हमें 11 के खिलाफ 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ता। यह हमारे लिए कितना दुर्भाग्यपूर्ण होता।’

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बेन स्टोक्स
– फोटो : PTI
स्टोक्स ने इस नियम को बताया हास्यास्पद
दूसरी ओर, स्टोक्स ने इस विचार को हास्यास्पद बताते हुए खारिज कर दिया। स्टोक्स ने कहा कि इस तरह के नियमों का दुरुपयोग हो सकता है और टीमें हेरफेर कर सकती हैं। खेल की मौजूदा परिस्थितियों में, सब्स्टिट्यूट की अनुमति केवल कन्कशन के लिए दी जाती है। या फिर कोई खिलाड़ी मैच के दौरान कोविड -19 से जूझता पाया जाता है। स्टोक्स ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बिल्कुल हास्यास्पद है कि चोट की वजह से किसी खिलाड़ी को बदलने को लेकर बातचीत हो रही है।
स्टोक्स ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस नियम से खामियां बढ़ेंगी। आप एक खेल के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ 11 को चुनते हैं। चोट लगना खेल का हिस्सा है। खिलाड़ी की सुरक्षा और भलाई के लिए मैं पूरी तरह से कन्कशन सब्स्टिट्यूट को समझता और समर्थन करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि बातचीत को यहीं रोक देना चाहिए। अगर मुझे एमआरआई स्कैन कराने के लिए कहा जाता है, तो मैं किसी और खिलाड़ी को ला सकता हूं।
स्टोक्स ने कहा, ‘यदि आप किसी और को एमआरआई स्कैनर के लिए कहते हैं, तो उसकी जगह कोई और खिलाड़ी आएगा। कोई भी खिलाड़ी कहेगा कि मेरे घुटने के चारों ओर थोड़ी सूजन है। फिर तुरंत उसकी जगह कोई ताजा गेंदबाज को लाया जाएगा। मुझे लगता है कि इस बातचीत को बंद कर देना चाहिए और रोक दिया जाना चाहिए।’