
कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से उन दस्तावेजों और सबूतों की मांग की है, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार वोट डाला। यह मामला राजनीतिक और चुनावी नियमों के लिहाज से गंभीर माना जा रहा है। चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसे आरोपों की पुष्टि के लिए ठोस प्रमाण जरूरी हैं।
राज्य के शीर्ष निर्वाचन अधिकारी ने गांधी को बताया कि ये दस्तावेज उनके कार्यालय को विस्तृत जांच करने में मदद करेंगे। गांधी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये दस्तावेज दिखाए थे। आयोग ने कहा कि आपने यह भी बताया था कि मतदान अधिकारी द्वारा दिए गए रिकॉर्ड के अनुसार, श्रीमती शकुन रानी ने दो बार मतदान किया था। जांच करने पर, श्रीमती शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने केवल एक बार मतदान किया है, दो बार नहीं, जैसा कि आपने आरोप लगाया है।
नोटिस में आयोग ने और क्या-क्या लिखा?
पत्र में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि कांग्रेस नेता द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति में दिखाया गया सही का निशान वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था। नोटिस में कहा गया कि आपसे अनुरोध है कि आप वे प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिनके आधार पर आपने यह निष्कर्ष निकाला है कि श्रीमती शकुन रानी या किसी और ने दो बार मतदान किया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके।
बिहार मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर क्या बोला आयोग?
चुनाव आयोग ने रविवार को कहा कि एक अगस्त को बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए संपर्क नहीं किया है। आयोग के मुताबिक, ड्राफ्ट सूची पर एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं, जिसमें पात्र नागरिकों के नाम शामिल करने या अयोग्य नाम हटाने का प्रावधान है।
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आयोग ने बताया कि एक अगस्त से 10 अगस्त दोपहर तीन बजे तक किसी भी राजनीतिक दल के बूथ-स्तरीय एजेंट ने दावा-आपत्ति की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जून में शुरू हुई विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दलों ने कुल 1.61 लाख बीएलए तैनात किए थे। इस अवधि में व्यक्तिगत स्तर पर 8,341 फॉर्म नाम जोड़ने या हटाने के लिए प्राप्त हुए।
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कोई भी पात्र सूची से बाहर नहीं किया जाएगा- चुनाव आयोग
यह ड्राफ्ट सूची बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का हिस्सा है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि आवश्यक दस्तावेजों की कमी के चलते कई पात्र नागरिकों के नाम सूची से बाहर हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर नहीं रहेगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।