
केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट किया है कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन परियोजना के पूरा होने की कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की जा सकती। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी बीजेपी सांसद अनिल बलूनी के सवाल के लिखित उत्तर में दी।
रेल मंत्री ने कहा कि किसी भी रेलवे परियोजना की प्रगति कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे राज्य सरकार द्वारा तेजी से भूमि अधिग्रहण, वन विभाग से पर्यावरण मंजूरी, राज्य सरकार द्वारा लागत साझेदारी की राशि का भुगतान, परियोजना की प्राथमिकता, आवश्यक तकनीकी स्वीकृतियां, भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियां आदि।
हिमालय की कठिन भौगोलिक स्थिति है चुनौती
वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना पूरी तरह उत्तराखंड राज्य में स्थित है और बेहद कठिन हिमालयी भूभाग से होकर गुजरती है। इसका उद्देश्य चारधाम और गढ़वाल क्षेत्र को बेहतर रेल संपर्क देना है। यह लाइन देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों से होकर गुजरेगी।
अभी तक 199 किलोमीटर सुरंग का निर्माण पूरा
परियोजना में कुल 213 किलोमीटर सुरंग निर्माण प्रस्तावित है, जिसमें से 199 किलोमीटर सुरंग और 8 अडिट (सहायक मार्ग) बनकर तैयार हो चुके हैं। पहली बार भारतीय रेलवे ने टनल बोरिंग मशीन (TBM) का इस्तेमाल हिमालयी क्षेत्र में किया है। 14.8 किलोमीटर लंबी सबसे बड़ी सुरंग (T-8) को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।
चुनौतियों के बावजूद काम जारी
रेल मंत्री ने बताया कि सुरंग निर्माण कार्य पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक तकनीकों से किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चारधाम प्रोजेक्ट का फाइनल लोकेशन सर्वे पूरा हो चुका है, जो गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को रेलवे से जोड़ेगा।
ये भी पढ़ें- ब्रिटेन में हिरासत में लिए गए छोटी नाव से आ रहे फ्रांसीसी प्रवासी, स्टार्मर-मैक्रों के बीच हुआ था समझौता
2016 से अब तक 4.8 लाख पद भरे गए- जितेंद्र सिंह
केंद्र सरकार ने बताया है कि वर्ष 2016 से अब तक विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में आरक्षित वर्गों के 4.8 लाख बैकलॉग पदों को भरा जा चुका है। कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
कलॉग की पहचान के लिए समिति गठित करने के निर्देश
मंत्री ने कहा कि सभी मंत्रालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन-हाउस समिति बनाएं, जो बैकलॉग पदों की पहचान करे, कारणों की जांच करे और उन्हें दूर करने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाएं। साथ ही, प्रत्येक विभाग में उप सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी को लायजन ऑफिसर नियुक्त करने और विशेष आरक्षण सेल बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
आरक्षण की स्थिति और अनुपालन
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की सीधी भर्तियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत, एससी को 15 प्रतिशत और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। प्रमोशन में एससी को 15 और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। दिव्यांग व्यक्तियों को भी सीधी भर्ती और ग्रुप ए की निचली श्रेणी तक प्रमोशन में 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
ये भी पढ़ें- ‘उनके सारे झूठ उजागर हो रहे हैं’, PM मोदी के व्यक्तिगत कीमत चुकाने वाले बयान पर उद्धव का वार
नियमित समीक्षा और समयबद्ध भरती का जोर
डॉ. सिंह ने कहा कि सरकार समय-समय पर सभी मंत्रालयों को निर्देश देती रहती है कि वे खाली पदों को समयबद्ध तरीके से भरें। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विभिन्न पदों की स्थिति संबंधित मंत्रालयों और संगठनों द्वारा ही रखी जाती है।
सुधार की दिशा में सरकार का कदम
यह जानकारी ऐसे समय आई है जब संसद में आरक्षित वर्गों के लिए नौकरी की स्थिति और बैकलॉग पदों की संख्या को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आरक्षण नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और आवश्यक कदम उठा रही है।