
सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के रोजमर्रा के कामकाज और पर्यवेक्षण के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया। यह समिति तब तक मंदिर प्रबंधन का कामकाज देखेगी, जब तक यूपी सरकार के अध्यादेश मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला नहीं सुना देता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समिति मंदिर के सुचारू संचालन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर काम करेगी, जिनमें स्वच्छ पेयजल, कार्यशील शौचालय, पर्याप्त आश्रय और बैठने की व्यवस्था, भीड़ के आवागमन के लिए समर्पित गलियारे, तथा बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधाएं शामिल होंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति श्रीबांके बिहारी मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र के समग्र विकास की योजना बनाने का प्रयास करेगी। पीठ ने कहा कि इसके लिए वे जरूरी भूमि की उपयुक्त खरीद के लिए निजी तौर पर बातचीत कर सकती है। यदि ऐसी कोई बातचीत नहीं होती है, तो राज्य सरकार को कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहण के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया जाता है।
शीर्ष अदालत ने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि गोस्वामियों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति के 4 सदस्यों के अलावा, किसी अन्य गोस्वामी या सेवायत को मंदिर प्रबंधन में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है। हालांकि पूजा/सेवा करने और देवता को प्रसाद चढ़ाने अन्य सेवायतों पर रोक नहीं लगाई है।
समिति में ये होंगे सदस्य
सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में कहा है कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले पर अपना फैसला नहीं सुनाता, तब तक शीर्ष अदालत की तरफ से गठित कमेटी मंदिर की पूरी जिम्मेदारी संभालेगी। समिति में बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन देखने के लिए गठित समिति में अध्यक्ष के अलावा समिति में 12 अन्य सदस्य भी शामिल होंगे। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता वाली समिति में यूपी के रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा, मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सिविल जज, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, एक प्रसिद्ध वास्तुकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक प्रतिनिधि और दोनों गोस्वामी समूहों से दो-दो सदस्य शामिल हैं।
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अध्यक्ष को मिलेगा दो लाख प्रतिमाह सुप्रीम कोर्ट ने समिति के अध्यक्ष जस्टिस अशोक कुमार को मानदेय के रूप में प्रति माह 2 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। ये रकम मंदिर निधि के खातों से की जाएगी। इसके अलावा, उन्हें परिवहन सुविधाओं सहित सभी आवश्यक सचिवीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। समिति के सदस्य मुकेश मिश्रा को प्रति माह मानदेय के रूप में 1 लाख रुपये दिए जाएंगे।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने ‘उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025’ के तहत गठित राज्य सरकार की कमेटी के संचालन पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट निर्णय देगा। तब तक मंदिर का संचालन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित यह कमेटी ही संभालेगी।