
विदेश मामलों की संसदीय समिति ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन की बढ़ती उपस्थिति और उसके बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक रणनीतिक हितों के लिए जोखिम पैदा होता है। समिति ने सरकार से इस मामले में सक्रिय रहने के लिए कहा है।
समिति ने कहा, चीन की बढ़ी हुई नौसैनिक क्षमताएं, जिसका उदाहरण उसके बेड़े का बढ़ता आकार है, जिसमें सालाना 15 से ज्यादा इकाइयां शामिल हैं। यह अब संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना से आगे निकल गया है, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी नौसैनिक शक्ति बन गया है।
समिति ने सोमवार को संसद में पेश भारत की हिंद महासागर रणनीति के मूल्यांकन पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन-पाकिस्तान नौसैनिक गठजोड़ का मजबूत होना भी समान रूप से चिंता का विषय है। यह न केवल उन दोनों के संयुक्त सैन्य अभ्यासों को सुगम बनाता है, बल्कि पाकिस्तान के नौसैनिक आधुनिकीकरण को भी आगे बढ़ाता है।
समिति ने कहा कि उसका मानना है कि इन घटनाक्रमों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इनमें क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदलने, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को चुनौती देने और प्रमुख समुद्री अवरोध बिंदुओं पर उसके प्रभाव को कम करने की क्षमता है।
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कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट 130 से ज्यादा पृष्ठों की है। विदेश मंत्रालय ने हिंद महासागर क्षेत्र में मोटे तौर पर तीन चुनौतियों की पहचान की है – भू-राजनीतिक चुनौती, समुद्री सुरक्षा के खतरे और बुनियादी ढांचे व संपर्क में कमी। समिति ने मंत्रालय से हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के सामने आने वाली रणनीतिक चुनौतियों के बारे में जानकारी मांगी थी।
अन्य चुनौतियों के अलावा बाहरी देश बने बड़ी चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया है, विदेश मंत्रालय ने बताया है कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए रणनीतिक चुनौतियों में समुद्री यातायात, समुद्री डकैती, आतंकवाद, नौवहन और हवाई उड़ानों की स्वतंत्रता से जुड़ी चिंताएं और संप्रभुता व स्वतंत्रता की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं। एक और चुनौती इस क्षेत्र में बाहरी देशों की बढ़ती उपस्थिति है, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का पैर जमाना।
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दोहरे उपयोग के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा बना रहा है चीन
समिति ने रिपोर्ट में कहा, चीन दोहरे उपयोग के उद्देश्य से बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रसद क्षेत्र पर केंद्रित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चला रहा है, इसके अलावा वह समुद्री क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाने और क्षेत्र के संवेदनशील समुद्र विज्ञान और समुद्री डेटा एकत्र करने के लिए इस क्षेत्र में अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों को भी तैनात कर रहा है। हिंद महासागर में दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है, जो लगभग 35 तटीय देशों में फैली हुई है। भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है और पश्चिम में लक्षद्वीप और पूर्व में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बीच 1,300 से ज्यादा द्वीप हैं।