
मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने चार दिन के सशस्त्र संघर्ष को खत्म कराने में भूमिका निभाई। लेकिन नई दिल्ली ने इस दावे पर नाराजगी जताई और कहा कि युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत से हुआ, जिसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
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मोदी-ट्रंप के बीच फोन कॉल
बता दें कि 17 जून को पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट की फोन बातचीत हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के मामले में भारत किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। यह कॉल तब हुई जब ट्रंप पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया था, जिसका भारत ने विरोध किया था। इस फोन कॉल के बाद अमेरिका का रुख बदल गया और ट्रंप ने भारत पर सार्वजनिक रूप से तीखे बयान देने शुरू कर दिए। इस हफ्ते उन्होंने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने का एलान किया, जिसमें आधा हिस्सा रूस से तेल खरीदने पर दंड के रूप में है। यही नहीं ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को ‘मृत’ और व्यापार बाधाओं को ‘घृणास्पद’ बताया था।
भारत की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति
भारत ने अमेरिकी टैरिफ को ‘अनुचित और अव्यावहारिक’ बताया, लेकिन फिलहाल कोई पलटवार नहीं करने का फैसला लिया है। सरकार कृषि और डेयरी सेक्टर में कुछ रियायतें देकर समझौते की कोशिश कर सकती है, साथ ही रूस के साथ पुराने रिश्तों को और मजबूत करने पर भी विचार कर रही है।
चीन के साथ बढ़ते कूटनीतिक संपर्क
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की सख्त नीति भारत को रूस और चीन के करीब ला सकती है। पीएम मोदी इस महीने चीन की यात्रा पर जाएंगे और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे, जो बदलते भू-राजनीतिक समीकरण का संकेत है।
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दुनियाभर के देशों पर ट्रंप ने क्यों लगाया टैरिफ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से दुनियाभर के तमाम देशों पर लगाए गए टैरिफ का विरोध अब उनके देश में भी होने लगा है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी। इस सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि अगर टैरिफ को हटाया जाता है तो अमेरिका में 1929 जैसी महामंदी आ सकती है। ट्रंप को अंदेशा है कि अमेरिकी अदालतें भी टैरिफ पर रोक लगा सकती हैं।