

इससे पहले एनडीआरएफ की के-9 टीम (खोजी कुत्ते) तुर्किए और म्यांमार में भी अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा चुकी है। एनडीआरएफ के इस दल ने एसडीआरएफ और आईटीबीपी के साथ धराली में खोज कार्य शुरू कर दिया है। उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों से बचाव दलों ने अब तक 700 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकालकर गतंव्य तक पहुंचा दिया है।
इसके अलावा धराली में ग्राउंड जीरो के आसपास फंसे लोगों को भी वहां से निकाला गया है। साथ ही अब करीब 15 फीट मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने का काम भी शुरू हो गया है। विभिन्न उपकरणों और मशीनों की सहायता से बचाव दल इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने में लगे हैं।

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उत्तरकाशी के धराली में सर्च अभियान
– फोटो : माई सिटी रिपोर्टर

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उत्तरकाशी के धराली में सर्च अभियान
– फोटो : माई सिटी रिपोर्टर
भारत में इनका प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। एनडीआरएफ के ऐसे कुत्तों की मदद से म्यांमार में आए भूकंप के बाद ऑपरेशन ब्रह्मा चलाया गया था। एनडीआरएफ की डॉग स्क्वाड दो साल पहले तुर्किए में भी भूकंम प्रभावित क्षेत्र में ऑपरेशन दोस्त के तहत पहुंची थी। वहां भी सैकड़ों की संख्या में भूकंप में दबे लोगों को खोजा गया था।

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उत्तरकाशी के धराली में सर्च अभियान
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
प्रदेश की एसडीआरएफ भी अत्याधुनिक उपकरणों के साथ धराली में खोज अभियान चला रही है। इसके लिए शुरुआत में मलबे में फंसे लोगों की तलाश के लिए थर्मल इमेजिंग कैमरा और विक्टिम लोकेटिंग कैमरा की मदद ली जा रही है। विक्टिम लोकेटिंग कैमरा नाम के इस उपकरण में एक लंबी छड़ के किनारे पर कैमरा लगा होता है जो कि किसी संकरी जगह पर भेजा जाता है।

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उत्तरकाशी के धराली में सर्च अभियान
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
वहां से यह कर्मचारी के हाथ में मौजूद डिस्प्ले पर तस्वीर भेजता है। इससे भी खोज का समय बचता है और आसानी से मलबे में फंसे लोगों को खोजा जा सकता है। इसके अलावा एसडीआरएफ भी अपने खोजी कुत्तों की मदद इस खोज अभियान में ले रही है।