

हालांकि इन युवकों ने उन लोगों को बचाने का पूरा प्रयास किया लेकिन जब युवकों को लगा कि अब उनकी जान भी खतरे में है तो वह किसी तरह आधे डूब चुके होम स्टे से निकल कर सुरक्षित स्थान पर आए।
गुजरात निवासी पंकज और चौखुटिया अल्मोड़ा निवासी भूपेंद्र गंगोत्री धाम यात्रा के लिए निकले थे। पंकज ने दो अगस्त को ऋषिकेश से एक बाइक 10 दिन के लिए किराये पर ली और फिर अपने दोस्त भूपेंद्र को लेने कर्णप्रयाग चले गया। कर्णप्रयाग से दोनों गंगोत्री के लिए निकले।
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उत्तरकाशी खीरगंगा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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उत्तरकाशी में फटा बादल
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बाहर बालकानी में आकर देखा तो हमारे चारों ओर मलबा ही मलबा था। मैं पंकज को उठाने के लिए अंदर गया, जब हम दोनों बाहर आए तो देखा कि हमारे होम स्टे का भूतल पूरी तरह डूब चुका था। निचले तल मे रहे तीन लोग भी डूब चुके थे, हमें केवल एक व्यक्ति दिखाई दिया, जिसका सिर दिखाई दे रहा था, हमने उसे बचाने का प्रयास किया लेकिन जब हमें लगा कि अब हमारी जान भी संकट में है तो हमने उपर से छलांग लगा ली और किसी तरह रैंगते हुए सुरक्षित स्थान पर आए।

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उत्तरकाशी आपदा
– फोटो : आईटीबीपी
पंकज और भूपेंद्र ने बताया कि पहली लहर में पानी कम और मलबा अधिक था, जिसने सभी होटल और होम स्टे को बहा दिया था, दूसरी लहर में पानी अधिक था। दूसरी लहर ने बचे होटलों को भी अपनी चपेट में ले लिया। हमारा होम स्टे कुछ ऊंचाई पर था इसलिए पहली लहर में वह बच गया, लेकिन दूसरी लहर में हमारा वाला होम स्टे भी बह गया। चौराहे (सर्कल) में खड़े सबसे अधिक लोग इसकी चपेट में आए।

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उत्तरकाशी में तबाही
– फोटो : संवाद
पंकज और भूपेंद्र ने बताया कि उनका सारा सामान डूब गया था, उनके पास कपड़े भी नहीं थे। जब वह आर्मी कैंप में पहुंंचे तो वहां सेना के जवानोें ने उन्हें अपने कपड़े दिए। किराये पर ली बाइक भी आपदा में बह गई।