सिरसा। प्रदेश की सबसे हॉट सीटों में से एक सिरसा विधानसभा की सीट पर मुकाबला बहुत कांटे का है। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट से हलोपा के गोपाल कांडा 602 वोटों से विजयी रहे थे और निर्दलीय प्रत्याशी गोकुल सेतिया मात्र कुछ वोटों के अंतर से विधायक बनते बनते रह गए थे। इस बार गोपाल कांडा को हलोपा के साथ साथ इनेलो-बसपा गठबंधन का साथ मिला है इसके साथ ही भाजपा ने मात्र इसी एक सीट से अपने प्रत्याशी का नामांकन भरवाकर उसे वापस ले लिया यानि भाजपा का भी उन्हें समर्थन है। दूसरी तरफ गोकुल सेतिया है जो कांग्रेस के उम्मीदवार है। पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के साथ साथ गोकुल को इनेलो का साथ मिला था। पांच साल के कार्यकाल में गोकुल सेतिया ने इनेलो से नजदीकियां बढ़ाई लेकिन चुनाव से ऐन पहले अभय सिंह और गोपाल कांडा के बीच गठबंधन हो गया। सिरसा
सट्टा बाजार गोकुल सेतिया को भारी बता रहा है लेकिन धरातल पर देखा जाए और शनिवार को मतदान के दिन पोलिंग एजेंटों के बूथों पर उमड़ी भीड़ बता रही है कि कम कोई भी नहीं है। परिणाम कुछ भी हो सकते हैं। गोपाल कांडा को उनकी धार्मिक छवि, इनेलो बसपा का साथ होने का लाभ मिल रहा है तो भाजपा के संग आना भी उनके लिए संजीवनी साबित हो सकता है। उधर दूसरी तरफ गोकुल सेतिया को कांग्रेस लहर का लाभ मिलता दिखाई दे रहा है। सरकार के एंटी इंकंबेंसी फैक्टर का भी लाभ मिल रहा है। उनकी युवा छवि, पांच सालों तक इनेलो के साथ रहकर गांवों में पैठ बनाने में गोकुल कामयाब हुए हैं।
शनिवार को सिरसा विधानसभा सीट पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ लेकिन शाम छह बजे के बाद तीन बूथों पर मतदान को लेकर कांडा और गोकुल समर्थक आमने सामने दिखाई दिये। गोशाला मोहल्ला, रानियां रोड व गांव बाजेकां के बूथों पर हंगामा हुआ। रानियां रोड स्थित बूथ पर तो गोकुल सेतिया व कांडा समर्थकों के बीच झड़प और गालीगलौच तक हुआ। एसपी सहित पुलिस अधिकारी स्थिति को संभालते दिखाई दिए।बाद में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर दोनों को खदेड़ा। गोकुल ने बूथ केप्चरिंग और वोटिंग टाइम खत्म हो जाने के बाद भी पोलिंग बूथों के गेट खुले होने के आरोप लगाए।
इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर मंगलवार को आना है। इसमें एक दिग्गज की जीत तय है और एक की हार। अब जिसके भाग्य में जीत है उसे जीत की बधाई और जिसकी किस्मत में हार लिखी है वह मंथन करें कि कहां कमियां रह गई, उन्हें दूर करें। जीवन बहुत बड़ा है, चुनाव आते जाते रहते हैं। सिरसा प्रेम भाईचारे की धरती है यहां सभी दलों के लोग मिलजुल कर रहते हैं। दुख सुख सांझे करते हैं। आपस में टकराव, मारपीट की संस्कृति सिरसा की नहीं है। जिस प्रकार नामांकन के समय गोपाल कांडा राहुल सेतिया व सुनीता सेतिया के पांव छूते नजर आए और गोकुल सेतिया गोपाल कांडा के। उस संस्कृति को आगे भी जारी रखना चाहिए… किसी शायर ने कहा है कि
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों।