सिरसा: राक्षसों से ऋषि मुनियों की रक्षा करने वन में पहुंचे राम लक्ष्मण, किया ताड़का का उद्धार

Rama and Lakshmana reached the forest to protect the sages from the demons and rescued Taraka
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सिरसा। श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित 75वें रामलीला महोत्सव के तहत विश्वामित्र का दशरथ के दरबार में आना, राक्षसों के संहार के लिए राम लक्ष्मण को वन में लेकर जाना, ताड़का वध तथा अहिल्या उद्धार के भावपूर्ण दृश्यों का मंचन किया गया।

सिरसा ताड़का वध को देखने के लिए हजारों की संख्या में दर्शक पहुंचे। रोमांच और हैरंतअंगेज करतब करते राक्षसों को देखकर जहां छोटे बच्चे सहम गए वहीं बड़े दर्शकों ने भी इस दृश्य को ध्यानपूर्वक देखा। बाद में भगवान राम ने एक ही बाण से राक्षसी ताड़का का उद्धार कर दिया।  इसके पश्चात विलाप का दृश्य मंचित किया गया, जिसे देखकर दर्शक हंस हंस कर लोट पोट हो गए।

रामलीला मंचन के तीसरे दिन एक के बाद एक सुंदर दृश्य मंचित किए गए। रामलीला के आरंभ में ऋषि विश्वामित्र वन में यज्ञ करते दिखाए गए जहां मारीच व अन्य राक्षस पहुंचकर उनके यज्ञ को भंग करते हैं। जिसके पश्चात विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार में आते हैं। वे राजा दशरथ से सहायता का वचन लेते हैं और ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए राम लक्ष्मण को अपने साथ वन में ले जाने के लिए कहते हैं। सिरसा

राजा दशरथ पुत्र मोह में अपने दोनों बेटों के छोटे होने की बात कहते हैं और कहते हैं कि वे स्वयं युद्ध के लिए चलते हैं अथवा अपनी चर्तुरंगिनी सेना भेज देते हैं। इसके बाद ऋषि विश्वामित्र वहां से रूष्ट होकर खाली हाथ जाने लगते हैं तो राजा दशरथ राम व लक्ष्मण को वन में भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं। वे अपने दोनों बेटों विश्वामित्र के साथ भेजते हैं। इस दृश्य में राम व लक्ष्मण के बाल अवस्था के एक के बाद एक तीन किरदार दिखाए गए। अलग अलग उम्र के राम लक्ष्मण देखकर दर्शक भक्ति भाव से सराबोर हो गए।

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वन में ऋषि विश्वामित्र राम लक्ष्मण को धुनर्विधा सीखाते हैं और दिव्य अस्त्र शस्त्र देते हैं। राम लक्ष्मण जब वन में आते हैं तो वन में राक्षस मारीच की मां ताड़का आती दिखती है। ताड़का व राक्षसों के किरदार में कलाकारों ने दृश्य में रोमांच भर दिया। वन में तरह तरह के राक्षस, डराने वाली आवाजें और साउंड व लाइट के सुदंर प्रयोग से दृश्य को बेहद डरावना बना गया था, जिसे देख हर कोई सहम गया। मंच पर जब ताड़का पहुंची तो राम लक्ष्मण के साथ उसका युद्ध हुआ, जिसके बाद राम ने एक ही बाण मारकर ताड़का का उद्धार कर दिया।
कथा व्यास धर्मवीर पाठक ने रामचरित मानस के श्लोक को गाते हुए वर्णन किया कि

एक ही बाण प्राण हर लिन्हा, दीन जान कर निज पद दिन्हा
ताड़का वध के बाद राक्षसों के द्वारा उनका विलाप करने के दृश्य में हास्य व व्यंग्य का भाव रहा। स्यापा करते हुए कलाकारों ने हंसा हंसा कर दर्शकों को लोट पोट कर दिया। इसके पश्चात मारीच सुबाहू इत्यादि राक्षसों का राम लक्ष्मण से युद्ध हुआ, जहां से मारीच भाग जाता है। अगले दृश्य में राम ने अपने चरण का स्पर्श का शिला रूप में परिवर्तित अहिल्या का उद्धार किया। इसके पश्चात ऋषि विश्वामित्र राम लक्ष्मण को लेकर जनकपुरी के लिए प्रस्थान करते हैं जहां राजा जनक की वाटिका में ठहरते हैं वहां डाकिया आकर ऋषि विश्वामित्र को राजा जनक के दरबार में होने वाले सीता स्वयंवर का निमंत्रण देते हैं।

रामलीला मंचन में राम के किरदार में ऋषभ गाबा, लक्ष्मण गौरव मेहता, अमित मिढा दशरथ, श्याम मेहता गुरु विशिष्ट, रमेश कंबोज विश्वामित्र, अंकुश बांगा सुबाहू, ओम प्रकाश मारीच, हिमांशू चंदेल ताड़का,मनप्रीत कौर अहिल्या ने निभाया। वहीं हार्दिक गाबा, नैविश बब्बर, हरमन कंबोज ने भगवान राम की बाल्यअवस्था के अलग अलग किरदार निभाए। वहीं हेयान मेहता, लक्षित बब्बर, राघव रेल्हन ने लक्ष्मण की अलग अलग आयु के किरदार निभाए। 

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