सिरसा में समर्थन का ‘खेला’, लक्ष्य सबका एक सत्ता सुख की प्राप्ति

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सिरसा। प्रदेश की राजनीति में आए दिन नया ‘खेला’ हो रहा है। कब कौन किसके पाले में चला जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। सुबह नेताजी किसी और के साथ दिखते हैं और शाम को उनका हृदय परिर्वतन हो जाता है। कुछ ऐसा ही खेल सिरसा में भी चल रहा है। समर्थन देने और समर्थन लेने का।

कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद गोकुल सेतिया उत्साहित है। वहीं प्रदेश में सरकार बनने की आस में टिकट मिलने से वंचित रहने के बाद भी कांग्रेस नेता मुस्कुराते हुए उनके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं और बोल रहे हैं कि गोकुल तो हमारा छोटा भाई है। हम उसको समर्थन करेंगे।

वहीं सिरसा के निवर्तमान विधायक गोपाल कांडा कुछ अलग ही सियासी खेल खेल रहे हैं। कभी खुद को भाजपा के पुराने परिवार से बताते हुए अपनी पार्टी को एनडीए का हिस्सा बताते हैं फिर उनके खिलाफ ही भाजपा अपना प्रत्याशी उतार देती है।

भाजपा के इस नहले पर गोपाल कांडा दहले की चाल चलते हैं और अपने पुराने साथी अभय सिंह चौटाला के साथ जाकर खड़े हो जाते हैं। फिर अभय और गोपाल दोनों मिलकर कहते हैं कि इस बार हलोपा, इनेलो और बसपा का गठबंधन प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा करेगा।

इसके साथ ही गोपाल कांडा यह भी कह देते हैं कि वे तो एनडीए का हिस्सा हैं, सरकार बनेगी तो वे भाजपा का समर्थन करेंगे। सोमवार को नामांकन वापसी के अंतिम दिन भाजपा अपने प्रत्याशी का नामांकन वापस करवा लेती है।

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भाजपा नेता तुरंत पत्रकार वार्ता करते हैं और कहते हैं कि वे हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा को समर्थन देंगे। वोट न बंटे इसलिए उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। वहीं इस बात की भनक जब इनेलो नेता अभय चौटाला को लगी तो उन्होंने कहा कि अगर गोपाल भाजपा से गठबंधन करेंगे तो वे पुर्न विचार विमर्श करेंगे।

अभय के इस रूख की जानकारी जब गोपाल कांडा को मिली तो उन्होंने तुरंत पत्रकार वार्ता करवाई और कहा कि हमने न तो किसी से समर्थन मांगा है और न ही किसी पार्टी के नेता ने उनसे समर्थन देने के लिए संपर्क किया है। ऐसे में भाजपा के समर्थन लेने का सवाल ही नहीं। हम तो सिरसा में इनेलो व बसपा से ही गठबंधन करेंगे और पांचों सीटें जीतेंगे।

उधर समर्थन देने और समर्थन लेने के खेल में सिरसा के वोटरों के साथ साथ राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता और नेता भी हैरान परेशान हैं वे भी खुलकर नहीं बोल पा रहे कि कौन अपना है और कौन पराया। वैसे पता सबको है कि कौन साथ है और कौन नहीं। अब तो यह 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती वाले दिन ही पता चलेगा कि कौन किसके साथ है।