जानिए सिरसा में कब और कहा आ रहे है बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री

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जानिए सिरसा में कब और कहा आ रहे है बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री
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सिरसा(आनंद भार्गव)। सिरसा जिले की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले विधायक गोपाल कांडा व उनके अनुज गोबिंद कांडा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं।

चुनाव से ठीक पहले कांडा बंधुओं द्वारा सिरसा स्थित बाबा तारा जी की कुटिया में बागेश्वर धाम सरकार श्री धीरेंद्र शास्त्री से हनुमंत कथा का आयोजन करवाया जा रहा है। 13 सितंबर से 17 सितंबर तक आयोजित होने वाले इस भव्य कार्यक्रम को लेकर कांडा बंधुओं ने तैयारियां शुरू कर दी है।

श्री बाबा तारा जी चेरिटेबल ट्रस्ट तारकेश्वर धाम द्वारा आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में लाखों की संख्या में भीड़ के उमड़ने का अनुमान है और उसी के अनुसार कांडा बंधुओं ने तैयारियां भी शुरू कर दी है।

इससे पहले कुटिया में फरवरी महीने में आए थे कथा वाचक प्रदीप मिश्रा
सिरसा के रानियां रोड स्थित तारकेश्वरम धाम यानि बाबा तारा कुटिया प्रदेश के मुख्य धार्मिक स्थलों में से है। यहां देश के अनेक विद्वान कथा वाचक, गीत संगीत की दुनियां से जुड़ी हस्तियां धार्मिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं।

हाल ही में सावन महीने की शिवरात्रि पर जय किशोरी ने नानी बाई को मायरो प्रस्तुत किया तो प्रख्यात भजन गायक हंसराज रघुवंशी ने भोले बाबा की महिमा गाई।

बाबा तारा जी की कुटिया में इससे पहले 25 फरवरी से 2 मार्च तक शिव कथा का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रख्यात शिव पुराण कथा वाचक प्रदीप मिश्रा कथा करने पधारे थे, उनकी वाणी को श्रवण करने लाखों की संख्या में लोग पहुंचे थे।

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प्रदीप मिश्रा की यह हरियाणा में पहली कथा थी। प्रदीप मिश्रा यहां किए गए प्रबंधों तथा उमड़े जनसैलाब से खूब प्रभावित हुए तथा सिरसावासियों को कहा कि वे फिर से जल्द ही कथा करने सिरसा आएंगे। संभावना है कि प्रदीप मिश्रा एक बार फिर जल्द ही सिरसा में कथा करने पधारें।

बागेश्वर सरकार की पहले भी कथा करवा चुका है बाबा तारा चेरिटेबल ट्रस्ट
श्री बाबा तारा चेरिटेबल ट्रस्ट इससे पहले भी बागेश्वर सरकार श्री धीरेंद्र शास्त्री की कथा का आयोजन करवा चुका है। हालांकि यह कथा सरसा में नहीं हुई थी बल्कि धर्मस्थली कुरुक्षेत्र में हुई थी।

कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर में 19 से 21 मई तक कथा का आयोजन किया गया था। यहां भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। बागेश्वर सरकार की यह हरियाणा में पहली कथा थी। 

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