Haryana Vidhan Sabha Election 2024 : सिरसा सीट पर सियासी घमासान तेज, जीतेगा कौन गोकुल या गोपाल, सभी लगा रहे एडी चोटी का जोर

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Haryana Vidhan Sabha Election 2024सिरसा (आनंद भार्गव)। सिरसा विधानसभा सीट पर पूरे हरियाणा की निगाह है। इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बहुत कुछ खास है। सबसे पहले तो यहां से भाजपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा। वहीं कांग्रेस ने अपने दिग्गजों को दरकिनार कर पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने वाले गोकुल सेतिया पर भरोसा जताया है। इनेलो ने भी अपने गृहजिले की इस सीट पर अपना प्रत्याशी न उतार कर हलोपा के गोपाल कांडा को समर्थन दिया है। हालांकि भाजपा ने भी गोपाल कांडा को ही समर्थन दिया है।

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Haryana Vidhan Sabha Election 2024 अभय चौटाला गोपाल कांडा के लिए गांवों में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। इसके अलावा बसपा के साथ गठबंधन का भी गोपाल को फायदा मिलना तय है। बसपा का अपना कैडर है तथा वोट बैंक है। भाजपा ने प्रदेश की 89 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं परंतु सिरसा सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए रोहताश जांगड़ा का नामांकन वापस करवा दिया गया और गोपाल कांडा को समर्थन करने का ऐलान कर दिया। भाजपा के समर्थन का गोपाल कांडा को कितना फायदा होता है यह भी आने वाला समय ही बताएगा।सिरसा सीट पर जातिगत समीकरण का खास महत्व है। इस बार विधानसभा चुनाव पंजाबी और वैश्य यानि बनिया समाज के बीच हो गया है। गोकुल सेतिया को पंजाबी वर्ग का समर्थन मिल रहा है तो वैश्य समाज खुलकर गोपाल कांडा के साथ खड़ा है। चर्चाएं यह भी है कि धनबल भी चुनाव में बड़ा प्रभाव दिखाएगा।

Haryana Vidhan Sabha Election 2024 हलोपा, भाजपा, इनेलो और बसपा की ताकत पाकर गोपाल कांडा का पलड़ा भारी होना चाहिए परंतु कांग्रेस के गोकुल सेतिया उन्हें जोरदार टक्कर दे रहे हैं। उनके समर्थन कांग्रेस के सासंद राजा वडिंग, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा एकजुट है। वहीं उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो की निकटता का इस चुनाव में फायदा मिलता नजर आ रहा है। सिरसा के 31 गांवों में गोकुल सेतिया का दबदबा दिखाई दे रहा है। हालांकि शहर में गोपाल कांडा भारी है। गोपाल कांडा के साथ उनके भाई गोबिंद कांडा, भतीजे धवल कांडा, धैर्य कांडा, पत्नी सरस्वती कांडा सहित परिवार के सभी सदस्यों का साथ मिल रहा है। राजनीति में उनके पुराने साथी अभय सिंह चौटाला के साथ आने के बाद गोपाल कांडा की ताकत कई गुणा बढ़ी है।

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Haryana Vidhan Sabha Election 2024 अभय चौटाला गोपाल कांडा के लिए गांवों में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। इसके अलावा बसपा के साथ गठबंधन का भी गोपाल को फायदा मिलना तय है। बसपा का अपना कैडर है तथा वोट बैंक है। भाजपा ने प्रदेश की 89 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं परंतु सिरसा सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए रोहताश जांगड़ा का नामांकन वापस करवा दिया गया और गोपाल कांडा को समर्थन करने का ऐलान कर दिया। भाजपा के समर्थन का गोपाल कांडा को कितना फायदा होता है यह भी आने वाला समय ही बताएगा।

Haryana Vidhan Sabha Election 2024 सिरसा सीट पर जातिगत समीकरण का भी अहम महत्व

सिरसा सीट पर जातिगत समीकरण का खास महत्व है। इस बार विधानसभा चुनाव पंजाबी और वैश्य यानि बनिया समाज के बीच हो गया है। गोकुल सेतिया को पंजाबी वर्ग का समर्थन मिल रहा है तो वैश्य समाज खुलकर गोपाल कांडा के साथ खड़ा है। चर्चाएं यह भी है कि धनबल भी चुनाव में बड़ा प्रभाव दिखाएगा।

Haryana Vidhan Sabha Election 2024 चुनाव में गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया की तुलना करें तो गोपाल कांडा राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं। वे अब तक सिरसा सीट से तीन बार विधायक बन चुके हैं और तीनों ही बार सरकार के गठन में उनकी अहम भूमिका भी रही है। वे गृहराज्यमंत्री, उद्योगमंत्री के अहम पदों पर रह चुके हैं। बड़े व्यवसायी होने के साथ साथ उनकी धार्मिक छवि भी वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करती है। उधर दूसरी तरफ गोकुल सेतिया युवा है। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में गोकुल महज 602 वोटों से चुनाव हार गए थे। युवा होने के कारण गोकुल सेतिया बड़े निर्णय तत्काल ले लेते हैं जिनका फायदा नुकसान उन्हें बाद में उठाना पड़ता है। सिरसा में मेडिकल कॉलेज बनाने व किसानों के लिए नहरी पानी की मांग को लेकर गोकुल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ ही झंडा बुलंद कर दिया था। इस चुनाव में भी बड़े बड़े कांग्रेसी दिग्गजों के अरमानों पर पानी फेर कर गोकुल सेतिया सिरसा से कांग्रेस की टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। कांग्रेस की लहर का उन्हें फायदा मिल सकता है।

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सिरसा में नशा और विकास अहम मुद्दे
Haryana Vidhan Sabha Election 2024 सिरसा में बढ़ता नशा और विकास का न होना अहम मुद्दे हैं। किसान आंदोलन के मुद्दे पर भी गांवों में सरकार के प्रति नाराजगी है। नशे के कारण शायद ही कोई वार्ड अथवा गांव हों जहां युवा प्रभावित न हों। रोजगार न होने के कारण युवा नशे की गर्त में जा रहे हैं। सिरसा में विकास कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च होने का दावा किया जा रहा है परंतु टूटी सड़कें, बरसाती मौसम में सड़कों पर जलभराव, पार्कों की दुर्दशा इत्यादि कुछ और ही सच्चाई बयान करती है। सरकार ने यहां नशे पर अंकुश लगाने के दावे किए है परंतु धरातल पर अब भी चिट्टे का नशा सरेआम बिक रहा है। मेडिकल सुविधाओं के नाम पर अब तक मात्र मेडिकल कॉलेज का बोर्ड लगा है, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति महोदया ने ऑनलाइन किया था। थेहड़ से उजाड़े गए विस्थापित वर्षों से अपने ठिकाने की तलाश में हैं, इनका भी गुस्सा नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।