– तंवर को एंटी इंकमबेंसी व किसानों के विरोध के साथ साथ दलबदलु होने के टैग का हो रहा नुकसान
सिरसा। सिरसा लोकसभा चुनाव में सट्टा बाजार कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को भारी बता रहा है। लोगों में भी चर्चा है कि इस बार सैलजा जीतेगी परंतु धरातल पर देखें तो सैलजा ने अपना चुनाव अकेले ही संभाला हुआ है। उनके समर्थक नेता जरूर उनके साथ चलते नजर आ रहे हैं लेकिन हुड्डा गुट से जुड़े नेता दिल से उनके साथ नहीं है। ऐसे में यह तो मतगणना वाले दिन ही पता लग पाएगा कि सैलजा भारी पड़ती है अथवा तंवर।
सिरसा से वर्षों पुराना नाता
कुमारी सैलजा का सिरसा से वर्षों पुराना नाता रहा है। यहां के लोगों को वे जानती है। यहां के लोगों के दिलों में उनके लिए अलग जगह है। सैलजा ने चुनाव प्रबंधन से लेकर प्रचार तक की कमान खुद ही संभाली हुई है। जहां भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर के समर्थन में मुख्यमंत्री नायब सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल सरीखे नेता लगातार रैलियां कर रहे हैं तो भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतार कर साफ कर दिया है कि भाजपा प्रत्याशी को इतने हल्के में लेना भी ठीक नहीं है। सैलजा के समर्थन में अभी तक कोई बड़ी रैली अथवा जनसभा नहीं हुई है।
कांडा और मीनू बैनीवाल जैसे बड़े नेता पलट सकते हैं गेम
इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर की स्थिति बेशक कुछ खास नहीं है। विपक्षी उन पर दलबदलु होने का टैग लगा रहे हैं तो खुद उनकी ही पार्टी के नेता बस चेहरा दिखाने के लिए उनके साथ चल रहे हैं। उन्हें जीताने के लिए धरातल पर प्रयास नहीं हो रहे हैं लेकिन इन सबके बीच सुखद बात यह है कि सिरसा के विधायक गोपाल कांडा, उनके अनुज भाजपा नेता गोबिंद कांडा, ऐलनाबाद क्षेत्र से भाजपा नेता मीनू बैनीवाल भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए जुटे हुए हैं।
वे मतदाताओं के मान मनोव्वल में लगे हुए हैं। उनके पास समर्थकों की लंबी चौड़ी फौज है। उनका सिरसा के अलावा ऐलनाबाद, रानियां, कालांवाली, डबवाली इत्यादि विधानसभाओं में भी प्रभाव है। ऐसे में कांडा और मीनू की जोड़ी तस्वीर बदल सकती है, जिसका फायदा उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। इसके अलावा बिजलीमंत्री रणजीत सिंह का भी रानियां में प्रभाव है, वे भी कांडा के मददगार बन सकते हैं।