Lok Sabha Elections 2024: All eyes on Ambala seat, BJP will score a hat-trick or Congress will win.
Lok Sabha Elections 2024: All eyes on Ambala seat, BJP will score a hat-trick or Congress will win.

लोकसभा चुनाव 2024:अंबाला सीट पर सबकी निगाहें, बीजेपी बनाएगी हैट्रिक या कांग्रेस मारेगी बाजी  

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लोकसभा चुनाव 2024: प्रदेश की मुख्य लोकसभा सीटों में से एक अंबाला सीट (आरक्षित) पर इस बार रोमांचक मुकाबला है। एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी जीत की हैट्रिक बनाने के उद्देश्य से चल रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने वरूण चौधरी के रूप में युवा चेहरा उतारा है। चार राज्यों पंजाब, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश व हिमाचल से सटे अंबाला के चुनाव परिणाम पर सबकी निगाहें लगी हुई है।

हलके के नौ में से पांच विधायक भाजपा के, चार कांग्रेस के
अंबाला लोकसभा सीट के नौ हलकों में से पांच पर भाजपा के विधायक काबिज है। जबकि चार सीटों पर कांग्रेस के विधायक है।  इस संसदीय क्षेत्र से  मुख्यमंत्री नायब सैनी आते हैं । इसके साथ ही विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी पंचकूला से विधायक हैं। जगाधरी विधायक कंवर पाल गुर्जर राज्य सरकार में कृषि मंत्री हैं।

अंबाला सिटी विधायक असीम गोयल परिवहन तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं। जबकि अंबाला कैंट से बीजेपी के दबंग नेता और पूर्व गृहमंत्री अनिल विज विधायक है। यमुनानगर से घनश्याम दास अरोड़ा भी भाजपा के विधायक हैं।वहीं  चार हलको में कांग्रेस के विधायक हैं।

इनमें नारायणगढ़ से शैली चौधरी, सढ़ौरा से रेणु बाला, कालका से प्रदीप चौधरी और मुलाना से वरुण चौधरी विधायक हैं। भाजपा दिग्गजों अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, ज्ञानचंद गुप्ता और असीम गोयल की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नायब सैनी की साख का भी सवाल है।

कटारिया दो बार बने सांसद
अंबाला लोकसभा सीट से 2014 और 2019 में पूर्व केंद्रीयमंत्री रतन लाल कटारिया सांसद बने। उनके निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी बंतो कटारिया को मैदान में उतारा है। रतन लाल कटारिया के रसूख व उनके निधन के बाद सांत्वना के रूप में बड़ा वर्ग बंतो कटारिया से जुड़ा है। वहीं कांग्रेस ने युवा वरूण चौधरी को टिकट दिया है जोकि मुलाना से विधायक है।

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किसान आंदोलन व एंटी इंकमबेसी पर भारी पड़ी रही बिना पर्ची खर्ची की सरकारी नौकरियां
किसान आंदोलन के साथ साथ दस साल की राज्य सरकार की एंटी इंकमबेसी का असर अंबाला सीट पर भी दिख रहा है परंतु सरकार द्वारा बिना पर्ची खर्ची के दी गई सरकारी नौकरियां यहां भी खूब चर्चा बटोरी रही है। गरीब परिवारों को हर महीने मुफ्त में राशन मिलने का मामला भी चचार्ओं में है। दूसरी तरफ कांग्रेस गुटबाजी और आपसी खिंचातान का शिकार हो रही है। जहां बंतो कटारिया के समर्थन में भाजपा के दिग्गज एकजुट है वहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस सीट से दूरी बना रखी है।

पिछले तीन लोकसभा चुनाव में एक कांग्रेस और दो बीजेपी ने जीते
अंबाला लोकसभा सीट के पिछले चुनाव परिणामों का विश्लेषण करें तो वर्ष 2009 में इस सीट से कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता था। सैलजा ने 3 लाख 22 हजार 258 वोट लेकर भाजपा के रतनलाल कटारिया को 14570 मतों से हराया था। कटारिया को 3 लाख 7 हजार 688 वोट मिले थे। इसके बाद वर्ष 2014

में अंबाला से भाजपा प्रत्याशी रतनलाल कटारिया तीन लाख 40 हजार के बड़े मार्जन से जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के राजकुमार वाल्मीकि को हराया था। रतन लाल कटारिया को 6 लाख 12 हजार 121 मत हासिल हुए थे। राज कुमार वाल्मीकि को 2 लाख 72 हजार 47 वोट हासिल हुए थे। वर्ष 2019 में भाजपा के रतन लाल कटारिया ने कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को 3 लाख 42 हजार 345 वोटों से करारी शिकस्त दी थी।  कटारिया को 7 लाख 46 हजार 508 मत हासिल हुए, जबकि सैलजा को 4 लाख 4 हजार 163 वोट मिले थे।

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